बीजेपी यूपी में सहयोगी दलों को करीब 12 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं
लखनऊ। यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टिकट बंटवारे के मामले में बीजेपी के सहयोगी दल ही उसके लिए परेशानी बन सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, यूपी में बीजेपी के सहयोगी ‘अपना दल’ और ‘सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी)’ ने करीब 60 सीटों पर लड़ने की दावेदारी की है। ऐसे में माना जा जा रहा है कि टिकट बंटवारे को लेकर बीजेपी में भी दिक्कतें हो सकती हैं। हालांकि, बिहार चुनाव में हार और वहां सहयोगी दलों का हाल देखने के बाद बीजेपी इस बार घटक दलों के लिहाज से कोई बड़ा रिस्क नहीं लेना चाह रही है। बीजेपी सूत्रों की मानें तो इन वजहों से बीजेपी यूपी में सहयोगी दलों को करीब 12 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है।
दरअसल, बिहार में सहयोगी दलों ने दबाव की स्ट्रैटजी और सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले के तहत बीजेपी से ज्यादा सीटें ले ली थीं, लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन के सामने उनका प्रदर्शन काम नहीं कर पाया और बीजेपी को हार झेलनी पड़ी।
यूपी में बीजेपी के प्रमुख सहयोगी ‘अपना दल’ में इस वक्त मां और बेटी के बीच वर्चस्व की जंग छिड़ी है।अपना दल के यूपी में दो सांसद हैं और इसकी नेता अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार में मंत्री हैं। बता दें, मां कृष्णा पटेल और अनुप्रिया के बीच अनबन की स्थिति है। कहा ये भी जा रहा है कि कृष्णा पटेल, अखिलेश यादव के भी कॉन्टैक्ट में हैं और जदयू के साथ भी उनकी बातचीत चल रही है। अपना दल के अंदर की ये स्थितियां भी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब हैं।
बीजेपी के पूर्वांचल में कुर्मी और इसके समकक्ष जातियों को साधने के लिहाज से अपना दल में फूट परेशानी की बात है। इस वोटबैंक को साधने के लिए ही बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य को यूपी में पार्टी की कमान सौंपी है। दूसरी ओर, अपना दल के दो धड़े में बंटने से बीजेपी को बहुत लाभ नहीं दिख रहा है। यही वजह है कि बीजेपी, अपना दल को बहुत ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं है।
दूसरी तरफ, एसबीएसपी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भी बीजेपी के साथ कुछ समय पहले गठबंधन किया था। सूत्रों की मानें तो पार्टी पूर्वी यूपी में 20 सीटों पर लड़ना चाहती है। वे दावा भी करते रहे हैं कि बीजेपी ने उनको इतनी सीटें देने के लिए आश्वासन भी दिया है।
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