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एकलव्य का अंगूठा काटने वाला द्रोणाचार्य सिर्फ कहानियों में ही नहीं हैं-धीरज यादव

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           आजमगढ़। दरअसल इस देश का सड़ चुका “अपरकास्टवाद“ हिंदूवाद के भेष में आपके घरों, विश्विद्यालयों में पहुंच चुका है. राष्ट्रवाद और हिंदूवाद की आड़ में ये लड़ाई, ऊंची जातियों के वर्चस्व को बचाने के अंतिम प्रयास भर हैं! मीडिया के सारे कर्मचारी ब्राह्मण हैं, सारे एडिटर, सम्पादक ब्राह्मण जाति से हैं. इस तरह 90 प्रतिशत मीडिया कर्मचारियों पर ब्राह्मणों का कब्जा है, लेकिन इन टीवी चैनलों के मालिक बनिया और जैन हैं, व्यापारी हैं, कारोबारी हैं, इसके अलावा आप एक बात पर और गौर करिए कल जेनएयू छात्रों को पीटने के लिए डीयू से जो टोली भेजी गई, वह अधिकतर “जाट, गुर्जर और राजपूतों“ की टोली थी. आप इस क्रोनोलॉजी को कुछ समझे ? मालिक-निवेशक “बनिया“ हैं, कर्मचारी-प्रबंधक “ब्राह्मण“ हैं, और लठैत-सिपाही “जाट- ठाकुर-गुर्जर“ हैं. आप इस गठजोड़ को समझ लीजिए. ये गठजोड़ ही आधुनिक भारतीय समाज की वर्णाश्रम व्यवस्था है. इसी तरह के गठजोड़ द्वारा एक पूरे समाज पर वर्चस्व स्थापित किया जाता है. अब सरकार पर आइए, आपका प्रधानमंत्री बनिया है, गृहमंत्री जैन कारोबारी है, मंत्री ब्राह्मण हैं, स...