मुबारकपुर विधान सभा से रामदर्शन यादव की जीत सुनिश्चित
लास्ट टाक द्वारा किया गया सर्वें बताता है कि इस बार रामदर्शन यादव को इस चुनाव में भारी बहुमत से जीतने से उनके विरोधी भी नहीं रोक सकते। कारण यह कि रामदर्शन का मुबारकपुर मेें एक बड़़ा जनाधार ही नहीं है बल्कि उनके समर्थक रामदर्शन को विजयी बनाने के लिये किसी भी हद से गुजर सकते हैं, कारण यह है कि रामदर्शन ने मुबारकपुर विधानसभा के वोटरों को कभी भी निराश नहीं किया वह उनके हर सुख-दुख में उनके साथ खड़े रहे। यही कारण है कि रामदर्शन को विजयी भव का आर्शीवाद मिल चुका है।
आजमगढ़। समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूर्वांचल में गुटबाजी से से परेशान हैं यह गुटबाजी यदि खत्म नहीं हुयी तो आजमगढ़ मेें मुलायम सिंह यादव का सूरज डूब जायेगा। सूचनाएं बताती है कि आजमगढ़ में दावेदारों से अधिक नेताओं मेें एक दूसरे से बड़ा साबित करने की होड़ चल रही है । इस लड़़ाई का खामियाजा समाजवादी पार्टी पहले ही भुगत चुकी हैं।
पिछले चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव से नाराज लोग एक के बाद एक कर शिवपाल यादव के सेक्युलर मोर्चे में शामिल हो गये। पहले अभिषेक सिंह आंशू और उनके बाद मुलायम सिंह यादव के प्रतिनिधि पूर्व विधायक रामदर्शन यादव ने सपा को छोड़कर शिवपाल का हाथ थाम लिया था। वैसे रामदर्शन यादव पहले भी सपा को छोड़ भाजपा में शामिल हो गये थे लेकिन मुलायम यादव ने आजमगढ़ से चुनाव लड़ा तो रामदर्शन की पार्टी में वापसी हो गयी थी। रामदर्शन का सेक्युलर मोर्चे के साथ जाना सपा के लिए एक बड़ा झटका माना गया। यही कारण था कि वर्ष 2012 में अगर सपा मुबारकपुर सीट हारी थी तो उसके पीछे राम दर्शन यादव ही थे।
बताते चले कि रामदर्शन यादव कभी सपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वर्षो तक वे पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे। एक बार मुबारकपुर से विधायक भी चुने गए। रामदर्शन मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में गिने जाते रहे। आजमगढ़ जिले की राजनीति की बात करें तो रामदर्शन यादव रमाकांत यादव के गुट में हमेशा रहे। वर्ष 2008 में जब रमाकांत यादव भाजपा में शामिल हुए तो रामदर्शन यादव खुद को बहुत दिन तक सपा में संभाल नहीं पाए और भाजपा का दामन थाम लिया। वर्ष 2011 में वे सपा का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें मुबारकपुर से टिकट दे दिया। वे यह सीट जीत तो नहीं पाए लेकिन सपा की हार का महत्वपूर्ण कारण बन गए। सपा ने जिले की दस में से नौ सीट पर जीत हासिल की लेकिन रामदर्शन के बगावत के बाद मुबारकपुर की सीट बसपा के खाते में चली गयी।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव जब मुलायम सिंह आजमगढ़ से लड़े तो यह चर्चा उठी कि रमाकांत यादव सपा में शामिल हो रहे है और आनन फानन में रातो रात रामदर्शन यादव लखनऊ जाकर सपा का दामन दोबारा थाम लिया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में रामदर्शन ने सपा से मुबारकपुर से टिकट की दावेदारी की। उस समय इन्हें प्रत्याशी भी बनाया गया लेकिन जब पार्टी की बागडोर अखिलेश यादव के हाथ में आई तो उन्होंने रामदर्शन का टिकट काटकर अखिलेश ने अपने करीबी अखिलेश यादव को प्रत्याशी बना दिया। रामदर्शन भी पीछे रहने वालोें में नहीं थे जनता उनके साथ थी इसलिये उन्होंने चुनाव में अखिलेश यादव का खुलकर विरोध किया और उनके समर्थक बसपा के साथ खड़े हुए। परिणाम रहा कि फिर यह सीट बसपा जीतने में सफल रही।
रामदर्शन यादव का मुबारकपुर मेें एक बड़ा जनाधार है। इसका प्रदर्शन रामदर्शन यादव कई बार कर चुके हैं। शिवपाल सिंह यादव के रथ यात्रा में रामदर्शन यादव ने अपने जनाधार और ताकत का खुलकर इस्तेमाल किया। जिसका परिणाम रहा कि शिवपाल सिंह यादव मुबारकपुर विधान सभा से रामदर्शन यादव को प्रत्याशी बनाने की घोषणा करने से खुद को नहीं रोक सके।
लास्ट टाक द्वारा किया गया सर्वें बताता है कि इस बार रामदर्शन यादव को इस चुनाव में भारी बहुमत से जीतने से उनके विरोधी भी नहीं रोक सकते। कारण यह कि रामदर्शन का मुबारकपुर मेें एक बड़़ा जनाधार ही नहीं है बल्कि उनके समर्थक रामदर्शन को विजयी बनाने के लिये किसी भी हद से गुजर सकते हैं, कारण यह है कि रामदर्शन ने मुबारकपुर विधानसभा के वोटरों को कभी भी निराश नहीं किया वह उनके हर सुख-दुख में उनके साथ खड़े रहे। यही कारण है कि रामदर्शन को विजयी भव का आर्शीवाद मिल चुका है।
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