नवरात्र में व्रत रखने के लाभ-स्वामी प्रभाकर नन्द
आजमगढ़। दिव्य ज्योति संस्थान की जिला शाखा इकाई आजमगढ़ निकट भँवरनाथ मन्दिर के संरक्षक स्वामी प्रभाकर नन्द जी नवरात्र में व्रत-उपवास करने से मानव शरीर को क्या-क्या लाभ मिलता है, इसके विषय में उन्होंने कहा कि भारत में शक्तिपूजन की कई विद्याएँ हैं जो श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था के आधार पर निर्मित की हैं। इनमें से एक है, आदि शक्ति के पूजन-दिवसों यानी नवरात्रों में किये जाने वाला व्रत। व्रत का सामान्य अर्थ है-संकल्प या दृढ़ निश्चय। नवरात्रों में नौ दिन में व्रत का मतलब है-तामसिक-राजसिक को त्यागकर सात्विक आहार-विहार-व्यवहार अपना आदि शक्ति की आराधना का संकल्प। चूँकि शक्तिपूजन का अवसर वर्ष में दो बार आता है। इसलिये यह सोचने का विषय है क्योें कि इन्हीं दिनों में अन्न त्यागकर फलाहार या अन्य सात्विक खाद्य पदार्थों को ग्रहण किया जाता है ? पहली नवरात्रि चैत्र मास में तथा दूसरी अश्विन मास में आती है। ये दोनों वे बेलाएँ हैं, जब दो ऋतुओ का संधिकाल होता है। ऋतुओ के संधिकाल में बीमारियाँ होने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है। यही कारण है कि संधिकाल के दौरान संयमपूर्वक व्रतों को अपनाया जाए, तो इससे बहुत सी बिमारियों से बचाव होता है। नवरात्रों के व्रत से होने वाले स्वास्थ्य लाभ
(क) शरीर का विषहरण-नवरात्रों में निराहार रहने या फलाहार करने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल आते हैं और पाचनतंत्र को आराम मिलता है।
(ख) बीमारियों से बचाव-कई ऐसे रोग हैं, जिनसे व्रतों में सहज ही रक्षा हो जाती है जैसे मोटापे पर नियंत्रण, दिल की बीमारियों व कैंसर से बचाव, क्योेंकि फलाहार, फलों के रस एवं बिना तला-भुना भोजन विषय व वसा मुक्त होता है।
(ग) मानसिक तनाव पर नियंत्रण- जब व्रतों द्वारा विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं तो लसिका प्रणाली दुरूस्त होती है। रक्त संचार बेहतर हो जाता है। हृदय की कार्य प्रणाली में सुधार होता है। इससे मानसिक शक्ति बढ़ती है। तनाव कम होने लगता है।
(घ) री-हाइड्रेशन-आंतरिक अंगों का सिंचन- व्रत में खाना कम व पानी ज्यादा पीने से शरीर के भीतरी अंगों का सूखापन दूर होता है। अंग-प्रत्यंग व त्वचा री-हाईड्रेड यानी उनकी सिंचाई हो जाती है। पाचन तंत्र भी बलिष्ठ होता है।
(ङ) शरीर और मन का सौन्दर्यीकरण- नौ दिनों व्रत में दिनचर्या व खानपान में इतना बदलाव आता है कि उसका असर आपकी त्वचा पर भी पड़ता है। विशेषकर फलों व मेवों के सेवन से। इसका सीधा सम्बन्ध हमारे शरीर में घटती रासायनिक प्रक्रिया से जुड़़ता है। इसके अलावा तरल पदार्थों व पानी की अधिकता से और आँतों को साफ रहने से भी शरीर और त्वचा में सहज ही कांति आती है।
उपर्युक्त विश्लेषण से हमें पता चलता है कि नवरात्रों एवं अन्य पर्वों में व्रत रखना कैसे शारीरिक व मानसिक स्तर पर लाभ प्रदान करता है। इसलिये आप भी अपनी सेहत के अनुसार नवरात्रों व्रत कर सकते हैं। साथ ही, पूर्ण सतगुरू से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर, ईश्वर की ध्यान-साधना करें, ताकि महाशक्ति की इन विशेष रात्रियों में हमारा आत्मिक उत्थान भी हो सके, हम देवी माँ की शाश्वत भक्ति को प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बना सकें जो इस पर्वों का मुख्य लक्ष्य है दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।
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