जीवित्पुत्रिका के पर्व पर माताओं ने व्रत रखकर की पुत्र के दीर्घायु होने की कामना


            आजमगढ़। जीवित्पुत्रिका के पर्व पर  आजमगढ़ नगर पालिका सहित ग्रामीण क्षेत्र आस्था के रंग में रंगे रहे। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में इसे श्रद्धापूर्वक मनाया गया। माताओं ने कठोर निर्जला व्रत रख कर पुत्रों के दीर्घायु होने की कामना किया। निजामाबाद ,तहबरपुर ,अतरौलिया, गंभीरपुर, फूलपुर ,मुबारकपुर ,पवई अंबारी ,माहुल के गुमकोठी ,पूरामया, पुरगोविंद, गनवारा, कन्दरा, पाकड़पुर, बरामदपुर सहित क्षेत्र केे सभी मन्दिरो एवं सार्वजनिक स्थानों पर भारी भीड़ रही। देर शाम तक व्रती माताओ ने पूजन-अर्चन के बाद जीवित्पुत्रिका की कथा सुनकर पुत्र की दीर्घायु होने की कामना किया । नगर पचांयत माहुल के सिद्धपीठ काली चैरा मंदिर पर व्रती माताओ के पहुंचने का सिलसिला 4 बजे दिन से ही शुरू हो गया। शाम होते ही मंदिर परिसर मे भारी भीड़ जुट गई। श्रद्धालु महिलाओं ने पूजन-अर्चन शुरू कर दिया। पूजा स्थलों पर निराजल व्रती माताओं के साथ कथा सुनने वालों की भारी भीड़ रही। 
        एक पौराणिक कथा के अनुसार गन्धर्वराज जीमूतवाहन बड़े धर्मात्मा और त्यागी पुरुष थे। युवाकाल में ही राजपाट छोड़कर वन में पिता की सेवा करने चले गए थे। एक दिन भ्रमण करते हुए उन्हें नागमाता मिली, जब जीमूतवाहन ने उनके विलाप करने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि नागवंश गरुड़ से काफी परेशान है, वंश की रक्षा करने के लिए वंश ने गरुड़ से समझौता किया है कि वे प्रतिदिन उसे एक नाग खाने के लिए देंगे और इसके बदले वो हमारा सामूहिक शिकार नहीं करेगा। इस प्रक्रिया में आज उसके पुत्र को गरुड़ के सामने जाना है। नागमाता की पूरी बात सुनकर जीमूतवाहन ने उन्हें वचन दिया कि वे उनके पुत्र को कुछ नहीं होने देंगे और उसकी जगह कपड़े में लिपटकर खुद गरुड़ के सामने उस शिला पर लेट जाएंगे, जहां से गरुड़ अपना आहार उठाता है और उन्होंने ऐसा ही किया। गरुड़ ने जीमूतवाहन को अपने पंजों में दबाकर पहाड़ की तरफ उड़ चला। जब गरुड़ ने देखा कि हमेशा की तरह नाग चिल्लाने और रोने की जगह शांत है, तो उसने कपड़ा हटाकर जीमूतवाहन को पाया। जीमूतवाहन ने सारी कहानी गरुड़ को बता दी, जिसके बाद उसने जीमूतवाहन को छोड़ दिया और नागों को ना खाने का भी वचन दिया।
        इस मौके पर व्रती माताओ ने कथा सुनी और पुत्र की लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना की। भीषण गर्मी के बावजूद व्रती माताओ की आस्था मौसम पर भारी रही। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक आशु जायसवाल ने सभी माताओं बहनों का चरण स्पर्श किया बृजेश मौर्य, संदीप अग्रहरि (दीपू)विष्णु कांत पाण्डेय, शिव शंकर मिश्रा, रमेश राजभर, अजय पाण्डेय, सौरभ राजभर, मन्दिर संरक्षक हरदेव पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।

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