गुडफ्राइडे पर्व ईसाई समाज की नींव हैं-अनीता साइलेस

 


आजमगढ़। गुडफ्राइडे पर्व ईसाई समाज की नींव हैं जिसके दम पर आज ईसाई समाज ऊर्जावान रूप से अपने संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। मान्यता है कि गुडफ्राइडे के दिन ईसा मसीह को सलीब पर मौत दी गयी थी और वह तीसरे दिन मृत्यु के बंधन को तोड़कर जी उठे और लोगों के बीच कुछ दिन रहे और उसके कुछ दिन बाद बादलों पर उठा लिये गये। ये ईसाई धर्म के मतालम्बियो का मानना है।

        गुडफ्राइडे क्यों मनाया जाता है इस पर विस्तार से बताते हुए अनीता साइलेस बताती है कि समस्त धर्मविज्ञानी तथा धर्मशास्त्र के ज्ञानी इस बात से सहमत हैं प्रभु यीशु मसीह संसार में मानव अवतार लेकर मनुष्यों को पापों से छुटकारा दिलाते और जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया था। उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र (प्रभु यीशु मसीह) भी ऊंचे पर चढ़ाया जाता जो कि बाइबिल में वर्णित है। यह आवश्यक था मसीह पापियों के क्षमा के लिए अपने प्राणों की आहुति देता है। धर्म शास्त्र में स्पष्ट लिखा है कि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है। पापों की सामर्थ के लिए भी मसीह की मृत्यु एक अनिवार्यता थी। जब प्रभु यीशु को सलीब पर मौत दी गयी थी तब कुल लगभग तीन घंटे का समय क्रुस पर लगा था उस समय प्रभु यीशु ने उस पर से सात वचन कहा था। उसी की याद में चर्च गुड फ्राइडे के दिन तीन घंटे का 12 से 3 होता है और उन्हीं सात वचनों पर प्रवचन दिया जाता है।
        प्रभु यीशु मसीह ने क्रुस से सातवां वचन में कहा था कि संसार में ऐसे अनेक महापुरुष व महात्मा हुए हैं जिन्होंने अपनी मृत्यु के समय अपने शिष्यों को कुछ अन्तिम निर्देश व शिक्षाएं दी तथा संसार से कूच कर गए। अपनी मृत्यु के अंतिम क्षणों में यीशु मसीह ने परमेश्वर को पिता कहकर सम्बोधित किया। वास्तव में पिता शब्द अपने में एक विशेष संबंध संजोए है। पहले वचन में भी प्रभु यीशु मसीह ने सलीब से हे पिता इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या करते हैं शब्द का सम्बोधन किया और आखिरी में भी, क्या तुम नहीं जानते मुझे अपने पिता की इच्छा पूरी करना है और कार्य कर पूरा कर पिता के पास लौटना है। यीशु का यह अंतिम वचन वास्तव में अपने लक्ष्य की उपलब्धि पर मिले संतोष की अभी व्यक्ति हैं। विजय श्री प्राप्त करने वाला अपने विजयोपहार के साथ लौट रहा है। क्रुस सांतवा वचन जो आखिरी वचन था हे पिता मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथ में सौंपता हूं और उसके बाद तीसरे पहर सलीब पर उसकी मौत हो गयी। गुडफ्राइडे इसी के याद में ईसाई समाज के लोग मनाते हैं। गुडफ्राइडे के पहले लोग चालीस दिन का रोजा होता है आखिरी रोजा गुडफ्राइडे के दिन होता है, क्योंकि प्रभु यीशु मसीह ने चालीस दिन का रोजा रखा था इसी के याद ईसाई समाज भी रोजा रखता है। तीसरे दिन दिन ईस्टर मनाया जाता है। ईसाई धर्म में लोग मानते हैं प्रभु यीशु मसीह तीसरे दिन जी उठे थे यानी मृत्यु के बंधन को तोड़ दिया था।

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