गिरधारी के इनकाउन्टर में पुलिस पर मुकदमा
आजमगढ़। अजीत हत्याकांड में आरोपी गिरधारी के कथित एनकाउंटर के मामले में सीजेएम सुशील कुमारी ने पुलिस वालों के खिलाफ दाखिल मुकदमे की अर्जी मंजूर कर ली है। उन्होंने इंस्पेक्टर हजरतगंज को सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर नियमानुसार विवेचना का आदेश दिया है। साथ ही एफआईआर की प्रति सात दिन में अदालत में दाखिल करने का भी आदेश दिया है।
उन्होंने यह आदेश आजमगढ़ के वकील सर्वजीत यादव की अर्जी पर दिया है। इस अर्जी में डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन व विभूतिखंड कोतवाली के थाना प्रभारी चंद्रशेखर सिंह के साथ ही अन्य संबधित पुलिसवालों को विपक्षी पक्षकार बनाते हुए मुकदमे की मांग की गई थी। यह अर्जी वकील आदेश सिंह व प्रांशु अग्रवाल ने दाखिल की थी।
इस अर्जी में कहा गया था कि 14 फरवरी को देर रात करीब ढाई बजे पुलिस अभिरक्षा के दौरान एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत गिरधारी की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई। हत्या के जुर्म से बचने के लिए कुछ मिथ्या लेखन कर सरकारी दस्तावेज भी तैयार किए गए। लिहाजा उक्त पुलिसवालों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया जाए।
22 फरववरी को अदालत ने इस अर्जी पर विभूतिखंड कोतवाली से रिपोर्ट तलब की थी। अदालत को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि इस घटना के संदर्भ में मुकदमा दर्ज है। चूकि एक एफआईआर दर्ज है, लिहाजा उसमें दूसरी एफआईआर अनुमन्य नहीं है। यह भी कहा गया था कि शासकीय दायित्वों के निर्वहन में किए गए कार्य की बाबत अभियोजन स्वीकृति के बिना इस अर्जी पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता। लिहाजा इस आधार पर अर्जी खारिज की जाए।
अदालत में सुनवाई के दौरान सर्वजीत यादव के वकील आदेश सिंह व प्रांशु अग्रवाल ने पुलिस की इस थ्योरी का विरोध किया। उन्होंने तमाम विधि व्यस्थाओं का हवाला देते हुए कहा कि गिरधारी की मौत के बाबत पुलिस टीम के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। बल्कि दोनों मुकदमे मृतक गिरधारी के विरुद्ध है। यह भी तर्क दिया कि किसी घटना के संदर्भ में दूसरी एफआईआर दर्ज करने पर कोई रोक नहीं है।
अभियोजन स्वीकृति भी आवश्यक नहीं है। वहीं अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि यह विवेचना का विषय है कि पुलिस टीम की ओर से इस मुठभेड़ में अपनी आत्मरक्षा के तहत गिरधारी की मृत्यु कारित की गई या उनके द्वारा आत्मरक्षा की परिधि से बाहर जाकर कोई कृत्य कारित किया गया।
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