जयराम की दुनियां और मौत का डाक्टर गिरधारी
आजमगढ़। मऊ के पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की हत्या में कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ गिरधारी उर्फ डाक्टर का नाम आने के बाद पूर्वांचल की राजनीति में भूचाल आ गया है। एक दशक पूर्व आजमगढ़ में पुलिस कर्मियों को चाय पिलाने वाला आज एक लाख का ईनामी है। आजमगढ़ के तत्कालीन एसओजी व कई थानों के प्रभारी के संरक्षण में गिरधारी इतना ताकतवर बन गया। वह इतना माहिर था कि चाय पिलाते-पिलाते ही फायरिग करना सीख लिया। धीरे-धीरे उसका कारवां बढ़ गया और आज उसकी गिनती पूर्वांचल के कुख्यात शूटरों में की जाती है। इसी कारण वह गिरधारी पूर्वाचल के पूर्व एमएलसी, जौनपुर के पूर्व सांसद व चंदौली के एक विधायक जो अपराध की दुनिया में एक हो गए उनका एक साथ संरक्षण प्राप्त कर लिया है और पुलिस के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है।
सूत्र बताते हैं कि दस साल पहले वाराणसी के चोलापुर थाना अंतर्गत दानगंज, लखनपुर निवासी गिरधारी आजमगढ़ में पुलिस कर्मियों को चाय पिलाता था। उस समय दो सगे भाई पप्पू व गप्पू सिंह से मोहन पासी की दुश्मनी थी। तब पप्पू के कहने पर तत्कालीन एसओजी प्रभारी ने मोहन पासी की 10 अंगुलियों के नाखून को उखाड़ दिया था। अपराध की यह सभी दास्तां गिरधारी के सामने ही हो रही थीं। जेल से छूटने पर मोहन ने पप्पू की हत्या कर दी। पुलिस इनकाउंटर में मोहन पासी भी मारा गया। यह सब देख रहा शातिर गिरधारी को भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गया। उसे संरक्षण मिला जौनपुर के पूर्व सांसद का उसके बाद वाराणसी निवासी पूर्व एमएलसी और चंदौली के एक विधायक के संरक्षण गिरधारी को काफी ताकतवर बना दिया।
पंचायत चुनाव की आहट होते ही पहले अजीत सिंह फिर चंदौली के बलुआ क्षेत्र के पलिया गांव के पास खंडवासी गांव निवासी युवा नेता मुंशी सोनकर की हत्या के बाद पूर्वाचल के चुनावी माहौल और गर्म कर दिया है। लोगों की जान के साथ खेलने वाला गिरधारी इतना शातिर है कि वह किसी को भी कट्टे की एक ही गोली मारता है। उसे यह अच्छी तरह पता है व्यक्ति के किस हिस्से में गोली लगने से उसकी तत्काल मौत हो सकती है। इसी हत्या के तरीके ने उसे मौत का डाक्टर बना दिया और उसके नाम के साथ एक और डाक्टर नाम जुड़ गया।
अजीत सिंह हत्याकांड में तीन नामजद आरोपितों में ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू के अलावा गिरधारी उर्फ डाक्टर एक लाख का इनामी है। इसकी गिनती पूर्वाचल के कुख्यात शूटरों में की जाती है। इसके खिलाफ हत्या के आधा दर्जन मुकदमों के अलावा तीन गैंगस्टर, हत्या की साजिश रचने के चार समेत कुल 19 मुकदमे दर्ज हैं। चोलापुर पुलिस ने 77 ए नंबर से उसकी हिस्ट्रीशीट खोल रखी है। उस पर पहले 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था, जिसे एडीजी वाराणसी जोन ने बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया था। एक अन्य आरोपित आजमगढ़ के तरवां थानांतर्गत जमुआं निवासी अखंड प्रतापोसह के खिलाफ 32 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें हत्या के पांच, गैंगस्टर के तीन मुकदमे समेत सभी केस मऊ, आजमगढ़, गाजीपुर जिले में दर्ज हैं। सूत्र बता रहे कि कुंटू ने अजीत के खिलाफ गिरधारी को मोहरे के रूप में इस्तेमाल किया जबकि ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह और अजीत सिंह के बीच पहले तो दांत काटी रोटी की तरह दोस्ती थी। दोनों एक ही थाली के चट्टे-बट्टे थे, लेकिन सियासी और वर्चस्व की महत्वाकांक्षा ने उनके बीच दरार डाल दी। वर्ष 2005 में हुए पंचायत चुनाव में देवसीपुर से क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद अजीत को वर्ष 2006 में प्रमुख चुना गया।
अगली बार के चुनाव में अजीत ने अपनी पत्नी रानू सिंह को मैदान में उतारा और उसे ब्लाक प्रमुख बनवाने में सफल रहा। इस चुनाव में कुंटू ने रुपये-पैसे से लेकर प्रचार आदि तक में अजीत की हर संभव मदद की। बदले में उसकी चाहत थी क्षेत्र पंचायत को वह अपने तरीके से चलाए। वह क्षेत्र पंचायत के विकास की निधि को भी अपने तरीके से हैंडिल करना चाहता था लेकिन पत्नी के प्रतिनिधि बनकर काम कर रहे अजीत सिंह ने कुर्सी हाथ में आने के बाद कुंटू की मनमानी पर अंकुश लगाया और अपने ढंग से कार्य करना शुरू किया। यही बात कुंटू को नागवार गुजरी और दोनों के बीच प्रतिद्वंद्विता का भाव पनपने लगा। हालात यहां तक जा पहुंचे कि कुंटू ने कुछ क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधियों को तोड़कर उन्हें प्रमुख बनवाने का सपना दिखाते हुए रानू सिंह के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की पूरी भूमिका रच दी। इस बात की खबर जब अजीत को लगी तो उसने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए क्षेत्र पंचायत सदस्यों को विश्वास में ले लिया और कुंटू के इरादों पर पानी फेर दिया। इस बीच कुंटू ने अजीत को अपने प्रभाव में लेने के लिए आजमगढ़ के सगड़ी विधायक सर्वेश सिंह सीपू की हत्या करने की जिम्मेदारी अजीत को सौंपी। इस प्रस्ताव को अजीत ने न सिर्फ खारिज कर दिया बल्कि यह बात सीपू तक पहुंचा भी दी। इसके बाद प्रशासन ने सीपू की सुरक्षा व्यवस्था तो बढ़ा दी मगर सीपू की हत्या को नहीं रोका जा सका। इस हत्याकांड में अजीत चश्मदीद गवाह बन गया।
अजीत सिंह को उसके गढ़ में पटखनी देने और क्षेत्र पंचायत पर अपने कब्जे के लिए कुंटू ने शूटर गिरधारी को मोहरे के रूप में तैयार किया। वर्ष 2015 में सीट पिछड़ी जाति के लिए रिजर्व हो चुकी थी। इसलिए उसने अपने शूटर व कभी अजीत के भी नजदीकी रहे गिरधारी को भीदड़ में बसा कर उसे क्षेत्र पंचायत सदस्य बनवाया। उसे ब्लाक प्रमुख बनाने की तैयारी थी किंतु तब तक क्षेत्र पंचायत की राजनीति में अपने पैर जमा चुके अजीत ने कुंटू को फिर मात दे दी और अपनी नजदीकी मनभावती राजभर को चुनाव मैदान में उतारा और प्रमुख बनवा दिया। बाद में उनका प्रतिनिधि बनकर खुद क्षेत्र पंचायत का कामकाज देखने लगा। इन चोटों से कुंटू बिलबिला उठा। वह कई शराब की दुकान लेने में भी अजीत की चाल के आगे मात खा चुका था। उसके गुस्से और प्रतिशोध की भावना से परिचित अजीत भी काफी सजग रहने लगा था और बुलेट प्रूफ जैकेट तथा वाहन का इस्तेमाल करने लगा था। लखनऊ में हत्यारों ने जब उस पर गोलीबारी की तो सिर में ही गोली लगने से उसकी मौत हुई है।
एक बार फिर से सुर्खियों में आए कुख्यात कुंटू का चेहरा जरायम के आईने में वाकई बेहद खूंखार है। आजमगढ़ में उसके खिलाफ एक-दो नहीं, पूरे 67 मुकदमे दर्ज हैं। उसकी पुलिस ने वर्ष 1992 में कुंडली खोली थी। उसके बाद 28 वर्षो में वह यूपी के टाप टेन माफियाओं में शुमार होने लगा। उसने जरायम के कई सुरमाओं को पीछे छोड़ दिया। वर्ष 2013 में 13 जुलाई को सगड़ी के पूर्व विधायक सर्वेश सिंह सीपू की हत्या में उसका नाम आया। पुलिस के मुताबिक उस पर हत्या के 11, लूट के दो, जानलेवा हमला करने के दो, गैंगस्टर के 12, डकैती का एक समेत 67 कुल मुकदमे दर्ज हैं।
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