मण्डल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिये पूर्व राज्यमंत्री राम आसरे विश्वकर्मा ने कसी कमर
आजमगढ़। ‘लास्ट टाक से एक औपचारिक मुलाकात में पिछडा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा ने कहा कि, ”अब समय आ गया है पिछडो वर्गो को अपना सम्पूर्ण आरक्षण लेने के लिये तथा मण्डल आयोग की सम्पूर्ण सिफारिशों को लागू करने की मांग करनी चाहिये।ये सम्पूर्ण सिफारिशें समाज के पिछडे वंचित तबके के हर क्षेत्र में उत्थान के लिए की गई संस्तुतियां है जो अभी तक लागू नहीं कराई जा सकीं है।
उन्होेंने कहा कि मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट के अध्याय 13 में कुल 40 प्वाइंट में सिफारिशें की हैं। पहले प्वाइंट में ही कहा गया है कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ापन और गरीबी, जाति आधारित बाधाओं की वजह से है।यह बाधाएं हमारे सामाजिक ढांचे से जुड़ी हुई हैं। इन्हें खत्म करने के लिए ढांचागत बदलाव की जरूरत होगी।इस ढांचागत बदलाव के लिए कमीशन ने नौकरियों व शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने की सिफारिश की थी।
उन्होंने यह भी कहा कि मंडल कमीशन यानी द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग की ज्यादातर सिफारिशें अभी भी धूल फांक रही हैं. इस पर चर्चा करने को कोई तैयार नहीं है कि समाज के वंचित तबके के उत्थान के लिए की गई संस्तुतियां अब तक लागू क्यों नहीं कराई जा सकीं। कमीशन ने ‘पूरी योजना’ लागू करने के 20 साल बाद इसकी समीक्षा करने की भी सिफारिश की थी. आरक्षण की समीक्षा करने की बात तो अक्सर कोई न कोई छेड़ देता है. आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत 2015 में आरक्षण की समीक्षा करने की बात कर चुके हैं. लेकिन मंडल कमीशन की रिपोर्ट किस हद तक लागू हो पाई, इस पर बातचीत नहीं होती. मण्डल आयोग की बिन्दुवार सिफारिशे निम्नवत है-
1. खुली प्रतिस्पर्धा में मेरिट के आधार पर चुने गए ओबीसी अभ्यर्थियों को उनके लिए निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण कोटे में समायोजित नहीं किया जाए।
2. ओबीसी आरक्षण सभी स्तरों पर प्रमोशन कोटा में भी लागू किया जाए ।
3. संबंधित प्राधिकारियों द्वारा हर श्रेणी के पदों के लिए रोस्टर व्यवस्था उसी तरह से लागू किया जाना चाहिए, जैसा कि एससी और एसटी के अभ्यर्थियों के मामले में है ।
4. सरकार से किसी भी तरीके से वित्तीय सहायता पाने वाले निजी क्षेत्र के सभी प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों की भर्ती उपरोक्त तरीके से करने और उनमें आरक्षण लागू करने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।
5. इन सिफारिशों को प्रभावी बनाने के लिए यह जरूरी है कि पर्याप्त वैधानिक प्रावधान सरकार की ओर से किए जाएं, जिसमें मौजूदा अधिनियमों, कानूनों, प्रक्रिया आदि में संशोधन शामिल है, जिससे वे इन सिफारिशों के अनुरूप बन जाएं।
6. शैक्षणिक व्यवस्था का स्वरूप चरित्र के हिसाब से अभिजात्य है. इसे बदलने की जरूरत है, जिससे यह पिछड़े वर्ग की जरूरतों के मुताबिक बन सके ।
7. अन्य पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने में सुविधा देने के लिए अलग से धन का प्रावधान किया जाना चाहिए, जिससे अलग से योजना चलाकर गंभीर और जरूरतमंद विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जा सके और उनके लिए उचित माहौल बनाया जा सके ।
8. ज्यादातर पिछड़े वर्ग के बच्चों की स्कूल छोड़ने की दर बहुत ज्यादा है. इसे देखते हुए प्रौढ़ शिक्षा के लिए एक गहन एवं समयबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए, जहां ओबीसी की घनी आबादी है. पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के लिए इन इलाकों में आवासीय विद्यालय खोले जाने चाहिए, जिससे उन्हें गंभीरता से पढ़ने का माहौल मिल सके. इन स्कूलों में रहने खाने जैसी सभी सुविधाएं मुफ्त मुहैया कराई जानी चाहिए, जिससे गरीब और पिछड़े घरों के बच्चे इनकी ओर आकर्षित हो सकें ।
9. ओबीसी विद्यार्थियों के लिए अलग से सरकारी हॉस्टलों की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिनमें खाने, रहने की मुफ्त सुविधाएं हों ।
10. ओबीसी हमारी शैक्षणिक व्यवस्था की बहुत ज्यादा बर्बादी की दर को वहन नहीं कर सकते, ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि उनकी शिक्षा बहुत ज्यादा व्यावसायिक प्रशिक्षण की ओर झुकी हुई हो. कुल मिलाकर सेवाओं में आरक्षण से शिक्षित ओबीसी का एक बहुत छोटा हिस्सा ही नौकरियों में जा सकता है. शेष को व्यावसायिक कौशल की जरूरत है, जिसका वह फायदा उठा सकें ।
11. ओबीसी विद्यार्थियों के लिए सभी वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस में 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जाए, जो केंद्र व राज्य सरकारें चलाती हैं.
12. आरक्षण से प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को तकनीकी और प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस में विशेष कोचिंग की सुविधा प्रदान की जाए ।
13. गांवों में बर्तन बनाने वालों, तेल निकालने वालों, लोहार, बढ़ई वर्गों के लोगों की उचित संस्थागत वित्तीय व तकनीकी सहायता और व्यावसायिक प्रशिक्षण मुहैया कराई जानी चाहिए, जिससे वे अपने दम पर छोटे उद्योगों की स्थापना कर सकें. इसी तरह की सहायता उन ओबीसी अभ्यर्थियों को भी मुहैया कराई जानी चाहिए, जिन्होंने विशेष व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है ।
14. छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बनी विभिन्न वित्तीय व तकनीकी एजेंसियों का लाभ सिर्फ प्रभावशाली तबके के सदस्य ही उठा पाने में सक्षम हैं. इसे देखते हुए यह बहुत जरूरी है कि पिछड़े वर्ग की वित्तीय व तकनीकी सहायता के लिए अलग वित्तीय संस्थान की व्यवस्था की जाए ।
15. पेशेगत समूहों की सहकारी समितियां बनें. इनकी देखभाल करने वाले सभी पदाधिकारी और सदस्य वंशानुगत पेशे से जुड़े लोगों में से हों और बाहरी लोगों को इसमें घुसने और शोषण करने की अनुमति नहीं हो ।
16. देश के औद्योगिक और कारोबारी जिंदगी में ओबीसी की हिस्सेदारी नगण्य है. वित्तीय और तकनीकी इंस्टीट्यूशंस का अलग नेटवर्क तैयार किया जाए, जो ओबीसी वर्ग में कारोबारी और औद्योगिक इंटरप्राइजेज को गति देने में सहायक हों ।
17. सभी राज्य सरकारों को प्रगतिशील भूमि सुधार कानून लागू करना चाहिए, जिससे देश भर के मौजूदा उत्पादन संबंधों में ढांचागत एवं प्रभावी बदलाव लाया जा सके.
18. इस समय अतिरिक्त भूमि का आवंटन एससी और एसटी को किया जाता है. भूमि सीलिंग कानून आदि लागू किए जाने के बाद से मिली अतिरिक्त जमीनों को ओबीसी भूमिहीन श्रमिकों को भी आवंटित की जानी चाहिए ।
19. कुछ पेशेगत समुदाय जैसे मछुआरों, बंजारा, बांसफोड़, खाटवार आदि के कुछ वर्ग अभी भी देश के कुछ हिस्सों में अछूत होने के दंश से पीड़ित हैं. उन्हें आयोग ने ओबीसी के रूप में सूचीबद्ध किया है, लेकिन सरकार द्वारा उन्हें अनुसूचित जातिध्अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने पर विचार करना चाहिए । 20. पिछड़ा वर्ग विकास निगमों की स्थापना की जानी चाहिए. यह केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर किया जाना चाहिए, जो पिछड़े वर्ग की उन्नति के लिए विभिन्न सामाजिक-शैक्षणिक और आर्थिक कदम उठा सकें ।
21. केंद्र व राज्य स्तर पर पिछड़े वर्ग के लिए एक अलग मंत्रालयध्विभाग बनाया जाना चाहिए, जो उनके हितों की रक्षा का काम करे ।
22. पूरी योजना को 20 साल के लिए लागू किया जाना चाहिए और उसके बाद इसकी समीक्षा की जानी चाहिए ।
इन सिफारिशों के अलावा मंडल कमीशन ने रिपोर्ट के प्रारंभ में ही कहा था कि जातियों के आंकड़े न होने के कारण उसे काम करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. इसलिए अगली जनगणना में जातियों के आंकड़े भी जुटाए जाएं।
पूर्व राज्यमंत्री राम आसरे विश्वकर्मा ने कहा कि अगर यह सरकार मण्डल कमीशन को जल्द से जल्द लागू नहीं करती है तो उनके नेतृत्व में एक बड़े आन्दोलन रूप रेखा तैयार की जायेगी जिससे सरकार की पोल खुलना स्वाभाविक है।
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