देश व बिहार के कद्दावर नेता रामविलास पासवान के जन्मदिन पर विशेष

          आजमगढ़।  आज केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान 74 वर्ष के हो गये। आज उनका 74वां जन्मदिन है।  इस अवसर पर देश व बिहार के कद्दावर नेता रामविलास पासवान को देश के सभी बड़े नेताओं सहित उनके कार्यकर्ताओं ने दीर्घायु होने की कामना के साथ जन्मदिन की बधाईयां दी। 
         राजनीति में करीब 50 साल बिता चुके पासवान राजनीति के मौसम विज्ञानी नेता के नाम से जाने जाते हैं। इसकी वजह यह है कि पासवान लगातार पिछली तीन सरकारों में मंत्री रहे हैं। फिर चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस। पासवान ने सभी के साथ बेहतर रिश्ते बनाए हैं और चुनाव से पहले माहौल भांपने की उनकी कला ने राजनीति में उन्हें बड़ा कद और पद दिया है।
5 जुलाई को शहरबन्नी, जिला खगड़िया (बिहार) में जन्में रामविलास पासवान के पिता का नाम स्वर्गीय श्री जामुन पासवान तथा माता का नाम स्वर्गीय श्रीमती सीया देवी था। आार्थिक स्थित अच्छी न होने पर पर उनके पिता स्वर्गीय जामुन प्रसाद ने उनकी शिक्षा-दीक्षा का पूरा खयाल रखा और जिसके चलते रामविलास पासवान बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी (उत्तर प्रदेश) द्वारा प्रदत्त एम.ए.एलएल.बी., डी.लिट. (आनरिस कासा), कोसी महाविद्यालय खगड़िया और पटना विश्वविद्यालय शिक्षा प्राप्त की। 
रामविलास पासवान ने अपना पहला चुनाव संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से अलोली सीट से उपचुनाव लड़े। इसमें उन्होंने कांग्रेस के एक बड़े नेता को 700 वोटों से हरा दिया। यहीं से शुरू हुआ रामविलास पासवान का राजनीतिक करियर। पिछले 50 सालों में 9 बार सांसद रह चुके का रामविलास पासवान के नाम एक गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड भी है। वे हाजीपुर से 1977 में 4.25 लाख वोटों से जीते थे। 1989 में उन्होंने फिर 5.05 लाख वोटों से जीतकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया था।
बिहार पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति के मैदान में उतरे रामविलास पासवान शुरू से ही राज नारायण और जयप्रकाश नारायण के फॉलोवर रहे हैं। उनसे काफी कुछ सीख कर आगे बढ़े। पासवान लोकदल के महासचिव नियुक्त हुए। इमरजेंसी के दौरान वे राजनारायण, कर्पूरी ठाकुर और सत्येंद्र नारायण सिन्हा के बेहद करीब थे। पासवान ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1969 में लड़ा और वो चुनाव था संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई तो वे आंदोलनकारियों में शामिल होने के कारण गिरफ्तार कर लिए गए और लगभग दो साल जेल में बिताए। जेल से छूटने के बाद पासवान जनता पार्टी के सदस्य बने और संसदीय चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंचे।
मात्र 23 वर्ष की उम्र विधायक बनने वालेे रामविलास पासवान ने एक बार राजनीति का रूख किया तो पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजनैतिक रूप से वें बार-बार सफल होते गये।

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