प्रियंका गांधी के पसन्द के चेहरे हैं, आजमगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष प्रवीण सिंह, और निर्मला भारती
जिलाध्यक्ष प्रवीण सिंह, महिला जिलाध्यक्ष निर्मला भारती |
कोरोना काल में प्रियंका ने जिस तरह की सियासत की उसकों देखकर प्रियंका के जज्बे को ‘सलाम’ करना ही पड़ेगा, प्रियंका ने कोराना से निपटने के लिए जद्दो-जहद कर रही योगी सरकार को लगातार आईना ही नहीं दिखाया बल्कि नसीहत भी दी। प्रियंका हर उस मुद्दे को हवा दे रही हैं, जो योगी सरकार की पेशानी पर बल डाल सकता है। प्रियंका आगे-आगे तो उनकी पार्टी के युवा नेता कंधे से कंधा मिलाकर पीछे-पीछे चलते नजर आते हैं। प्रियंका के साथ संघर्षरत् नेताओं में कोई पुराना चेहरा नजर नहीं आता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय ‘लल्लू’ और उनके ही जैसे अन्य गुमनाम या कम जान-पहचान वाले संघर्षशील युवा नेताओं के सहारे प्रियंका, योगी सरकार के खिलाफ कई ऐसे मुद्दे उछाल चुकी हैं जिसको लेकर योगी सरकार को बार-बार ‘सफाई‘ तक देनी पड़ी।
आजमगढ़ में युवा नेता प्रवीण प्रियंका गांधी के पसन्द के नेता है और उन्होंने अपने पद भार ग्रहण करने के बाद ही अपने जुझारूपन, और संघर्ष के बलबूते प्रियंका का विश्वास ही नहीं जीता बल्कि कांग्रेस पार्टी में अपना कद भी बढ़ाया। जिसकी वजह से कोरोना काल में प्रियंका ने दो ट्रक खाद्य सामग्री भेजकर प्रवीण सिंह को आजमगढ़ के गरीब, लाचार लोगों के मदद के लिये चुना।
प्रियंका गांधी की उत्तर प्रदेश में ‘संघर्षगाथा’ की बात की जाए तो चाहे कोरोनाकाल में कांग्रेस नेत्री द्वारा राजस्थान से उत्तर प्रदेश लाने के लिए प्रवासी मजदूरों के लिए बस की पेशकश की बात हो या फिर गत वर्ष जुलाई के ही महीने में सोनभद्र में हुआ दस लोगों का नरसंहार अथवा बीते दिसंबर माह में बिलरियागंज में नागरिकता संशोधन एक्ट के विरोध में धरना-प्रदर्शन करने वालों के पक्ष में खड़े होकर योगी सरकार को मुस्लिम विरोधी करार देना। हर बार प्रियंका के तेवर तीखे दिखे। यहां तक कि सोनभद्र नरसंहार के समय पुलिस उन्हें हिरासत में लेने को मजबूर हो गई थी तो बस की सियासत में योगी सरकार उनके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिय। प्रियंका गांधी के संघर्ष के चलते यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि लोकसभा चुनाव के बाद प्रियंका ने जमीनी सियासत में सपा-बसपा, भाजपा को काफी पीछे छोड़ दिया है।
बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिस तरह से सपा-बसपा ने ‘दूध की मक्खी‘ कि तरह निकाल कर फेंक दिया था। प्रियंका नहीं चाहती हैं कि वह ‘इतिहास 2022 के लोकसभा चुनाव में पुनः दोहराया जाए। याद रहे 2019 के विधानसभा चुनाव के समय मायावती की जिद्द के चलते कांग्रेस का सपा-बसपा के साथ गठबंधन का सपना चकनाचूर हो गया था, जिसका आज तक प्रियंका को मलाल है। इसीलिए प्रियंका मायावती पर ज्यादातर हमलावर रहती हैं। मायावती की जिद्द के चलते अकेले मैदान में कूदी कांग्रेस ठीक से विधानसभा चुनाव की तैयारी भी नहीं कर पाई थी, इसी के चलते प्रियंका के नेतृत्व में कांग्रेस को इतिहास की सबसे शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था।
प्रियंका बसपा सुप्रीमों को उनकी औकात बताने के लिए कभी-भीम आर्मी के करीब जाकर तो कभी बसपा को भाजपा के साथ खड़ा करके हमलावर रहती हैं।
आजमगढ़ कांग्रेस की जान श्री प्रवीण सिंह जी व कर्मठ जुझारू महिला नेत्री निर्मला भारती जी को हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाई ।
ReplyDeleteजय कांग्रेस, विजय कांग्रेस