बैंकों के राष्ट्रीयकरण के फैसले से बदल गयी थी देश की तस्वीर, करोड़ों लोगों को हुआ फायदा-निर्मला भारती

          आजमगढ़।पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपने साहसिक फैसलों के लिए जाना जाता है। इसमें कई फैसले ऐसे हैं जिन्होंने देश की तकदीर ही बदल दी थी। ऐसा ही एक फैसला देश के प्राइवेट बैंकों का सरकारीकरण करना। इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई 1969 को देश के 14 सबसे बड़े प्राइवेट बैंकों का सरकारीकरण कर दिया था। इस दिन को फाइनेंशियल सेक्टर में काफी अहम माना जाता है। जिस समय इन 14 बैंकों का सरकारीकरण किया गया था, उस समय इन बैंकों में देश के कुल बैंक डिपॉजिट का 85 फीसदी हिस्सा जमा था। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी ने बैंकिंग कंपनियां अध्यादेश (अधिग्रहण और उपक्रमों का स्थानांतरण) पारित कर प्राइवेट बैंकों का सरकारीकरण किया था।
इंदिरा सरकार के इस फैसले के पीछे वजह काफी बड़ी थी। खबरों के अनुसार आजादी के बाद 1955 तक मात्र आठ साल में ही देश में छोटे-बड़े 361 बैंक नाकामयाब हो पाए थे। इन बैंकों ने कृषि क्षेत्र के विकास और सरकारी योजनाओं को लागू करने में कोई मदद नहीं की थी। इसको देखते हुए सरकार ने आर्थिक स्थिरता और जमा पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए यह फैसला लिया था। इसके 11 साल बाद एक बार फिर बैंकिंग कंपनीज एक्ट का सहारा लिया गया और एक बार फिर कुछ बैंकों का सरकारीकरण किया गया। बैंक उस समय कॉरपोरेट घरानों और राजाओं के हाथों में थे अधिकांश। 
जिस समय इंदिरा सरकार ने यह फैसला लिया था, उस समय अधिकांश बैंकों का मालिकाना हक कॉरपोरेट घरानों और राजाओं के पास था। इस कारण सरकार अपनी जनहित की योजनाओं को पूरी तरह से लागू नहीं करवा पा रही थीं। इंदिरा सरकार ने बैंकों से एकाधिकार खत्म करने और सरकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचाने के लिए बैंकों को अपने हाथ में लेने का फैसला लिया था। इंदिरा सरकार के इस फैसले लघु एवं मध्यम उद्योग और कृषि क्षेत्र के विकास में मदद मिली थी। बैकिंग सेवाओं को गांव-गांव पहुॅचने का मौका मिला। 
श्रीमती निर्मला भारतीय के अनुसार प्राइवेट बैंकों के सरकारीकरण से पहले इनकी सेवाएं शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित थीं। इस कारण ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा था। सरकार गांवों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाना चाहती थी, लेकिन प्राइवेट बैंक इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे। ऐसे में इंदिरा सरकार ने बैंकिंग कंपनीज एक्ट के जरिए 14 बड़े प्राइवेट बैंकों का सरकारीकरण कर दिया था इंदिरा सरकार के इस फैसले से बैंकिंग सेवाएं शहरों से निकलकर गांव-गांव तक पहुंच गई थीं। इंदिरा सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा कृषि सेक्टर इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों को काफी फायदा हुआ था। देश में इस समय प्राइवेट बैंकों के साथ सरकारी बैंक भी संचालित हैं। 
बैंकिंग क्षेत्र का काम ग्रोथ और निवेश को बढ़ावा देना होता है, लेकिन पब्लिक सेक्टर बैंक अक्षम बने हुए हैं और उनमें पैसों की बर्बादी हो रही है. अफसोस की बात यह है कि ये बैंक आज भी एक लोकलुभावन प्रधानमंत्री के राजनीतिक हितों को पूरा करने में जुटे हैं। इतना ही नहीं बैंक रोजगार करने वालों को लोन नहीं दे सके विचैलियों के चलते लोन भी उन्हीं लोगों को उपलब्ध हुआ जो विचैलियों बैंक अधिकारियों के अनुचित मांगों को पूरा किया। 

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