ठाकुर वाद ने सिर्फ एक बार जीता सदर विधान सभा का चुनाव
आजमगढ़। आजमग़ढ़़ कांग्रेस अध्यक्ष प्रवीण सिंह अपनी ईमानदारी संघर्ष के भरोसे से ये सपना देख रहे हो कि वह सदर के विधायक हो जायेगे पर जनता किसी ठाकुर पर भरोसा कर कर सकती है ऐसा सदर विधानसभा में सिर्फ एक बार हुआ। स्मरण रहे मुन्ना सिंह जो अपराध के दुनिया के बेताज बादशाह कहे जाते रहे पर सदर विधान से करारी हार पर पा चुके हैें। बताते चले कि पिछले विधान सभा चुनाव में मुना सिंह भूपेंद्र सिंह ने सैकड़ों समर्थकों के साथ बसपा की सदस्यता ग्रहण की और उन्हें बसपा का सदर प्रत्याशी घोषित किया गया। जिसकी अध्यक्षता करते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने कहा था कि हमारे अनुशासित कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से लग जाएं। उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनेगी। प्रदेश में जो अराजकता का माहौल बना है वह बसपा की सरकार बनते ही समाप्त हो जाएगा, मगर ऐसा हो नहीं पाया। और मुन्ना सिंह को करारी हार का सामना करना पड़ा। सूत्रों की माने को कुंटू सिंह उर्फ ध्रुव सिंह आजमगढ़ जिले के जीयनपुर थाना क्षेत्र के छपरा सुल्तानपुर गांव का है इसके ऊपर हत्या, लूट और फिरौती के करीब 5 दर्जन से ज्यादा मुकदमें कायम है बसपा के पूर्व विधायक सीपू सिंह हत्याकांड में भी यह मुख्य आरोपी है और काफी लम्बे समय से जेल में बन्द है। इसका पूर्वांचल के आजमगढ़ मऊ, बलिया और जौनपुर मेें काफी दबदबा है इसको आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट दिया जा सकता है। बावजूद इसके सदर विधान सभा जो यादव बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है। कुंटू सिंह उर्फ ध्रुव सिंह अगर सदर विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर उतरा तो विधानसभा चुनाव दिलचस्प हो जायेगा। कारण यह है कि वर्ष 1980 में अंतिम बार यहां कांग्रेस के राम कुंवर सिंह जीते थे। इसके बाद से इस सीट पर दुर्गा प्रसाद यादव का कब्जा रहा है। मात्र एक बार वर्ष 1993 के चुनाव में दुर्गा को बसपा के राजबली यादव से हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष 1993 के पूर्व दुर्गा यहां से लगातार तीन बार जीते थे। इसके बाद 1996, 2002, 2007 और 2012, का चुनाव लगातार उन्होंने जीता है। बसपा ने यहां जब भी किसी क्षत्रिय को मैदान में उतारा है उसने दुर्गा को कड़ी टक्कर दी है। वर्ष 2007 में रमाकांत सिंह दुर्गा यादव से मामूली अंतर से हारे थे। वर्ष 2012 में बसपा ने सीपू सिंह को उतार कर फिर क्षत्रिय पर दांव खेला था लेकिन सपा की लहर में सीपू कुछ खास नहीं कर सके। गत चुनाव में दीदारगंज सीट पर बसपा की हार की बड़ी वजह मुन्ना सिंह बने थे। अगर वे मैदान में न होते तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर को हराना आसान नहीं होता।
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