यू.पी. की राजनीति में स्व0 टंडन को अलग अलग किस्म के प्रयोगों के लिए जाना जाता रहा है-शिवमोहन शिल्पकार
लोक जनशक्ति पार्टी पिछड़ा एवं अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष शिव मोहन शिल्पकार ने कहा कि स्व0 लालजी टंडन को यह देश महान नेता के रूप जानता रहा है उनकी मौत से भारतीय राजनीति की अपूर्णनीय क्षति हुई है। जिसकी भरपाई करना मुश्किल ही नहीं नामुमिकन है। मैं उनके प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालजी टंडन के निधन पर दुख व्यक्त किया. पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि लालजी टंडन को उनकी समाज सेवा के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में मजबूत बनाने में अहम रोल निभाया, वह जनता की भलाई के लिए काम करने वाले नेता थे. पीएम मोदी ने लिखा कि लालजी टंडन को कानूनी मामलों की भी अच्छी जानकारी रही और अटलजी के साथ उन्होंने लंबा वक्त बिताया ।
उनके निधन पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लालजी टंडन के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश की एक कद्दावर शख्सियत लालजी टंडन के निधन का समाचार बहुत पीड़ादायक है। टंडनजी के साथ मुझे लम्बे समय तक काम करने का अवसर मिला. उनका लम्बा सार्वजनिक जीवन जनता की सेवा में समर्पित रहा और उन्होंने अपने काम से एक अलग छाप छोड़ी है.
केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी ने ट्वीट कर लिखा, ‘लालजी टंडन के निधन की खबर सुनकर वह काफी दुखी हैं. वो महान थे, बाबूजी ने कई युवाओं को आगे बढ़ने में मदद की और विचारधारा सिखाई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बयान जारी कर लालजी टंडन को श्रद्धांजलि दी।
लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 को लखनऊ में हुआ था। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा-दीक्षा भी लखनऊ में ही हुई। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री ली थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ लोकसभा सीट से 1952, 1957 और 1962 में लगातार तीन चुनावों में हार गए थे, जिसके बाद 1991 में उन्होंने वहां से खड़े होने से मना कर दिया था। वाजपेयी अब लखनऊ से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे।
इसपर लालजी टंडन ने उनसे इसकी वजह पूछी तो वाजपेयी ने ठहाका लगाते हुए कहा था कि अब भी कुछ बताने को बचा है क्या? इसके बाद टंडन ने ही उन्हें कहा कि लखनऊ को उनकी जरूरत है और चुनाव लड़ने को राजी कर लिया।
लालजी टंडन ने उन्हें भरोसा दिलाया कि लखनऊ अब उनके साथ है। वह सिर्फ नामांकन भरने के लिए आएं, बाकी चुनाव हम पर छोड़ दें। अटल जी तैयार हो गए और उस समय वह चुनाव जीते भी। लालजी टंडन को उत्तर प्रदेश की राजनीति में अलग अलग किस्म के प्रयोगों के लिए जाना जाता रहा है। 90 के दशक में उत्तर प्रदेश में बनी भाजपा और बसपा की सरकार के पीछे के गठजोड़ में उनकी बड़ी भूमिका बड़ी ही महत्वपूर्ण मानी जाती है।
बताया जाता है कि लालजी टंडन को उत्तर प्रदेश की राजनीति में अलग अलग किस्म के प्रयोगों के लिए जाना जाता है। 90 के दशक में उत्तर प्रदेश में बनी भाजपा और बसपा की सरकार के पीछे के गठजोड़ में उनकी बड़ी भूमिका मानी जाती है। बसपा प्रमुख मायावती लालजी टंडन को राखी बांधती थीं और टंडन ने ही उन्हें भाजपा का साथ देने के लिए मनाया था। दोनों के बीच भाई-बहन के संबंध थे, इसीलिए मायावती ने लालजी टंडन की बात मानकर भाजपा से गठबंधन किया था। लखनऊ में ही सुबह 5ः35 बजे टंडन ने आखिरी सांस ली।
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