कोई भी विद्यालय वार्षिक आधार पर शुल्क न लेकर मासिक या अर्धवार्षिक किस्तों में शुल्क लेगा -डाॅ0 वीके शर्मा

         आजमगढ़ ।  जिला विद्यालय निरीक्षक डाॅ0 वीके शर्मा ने बताया है कि उ0प्र0 स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2018 जो 9 अप्रैल 2018 को उत्तर प्रदेश में लागू हुआ। प्रदेश के छात्र छात्राओं को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश में संचालित निजी विद्यालय द्वारा वसूल किये जा रहे मनमाने शुल्क को छात्र हित में विनियमित किये जाने की आवश्यकता के कारण उ0प्र0 स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2018 प्रख्यापित किया गया। जिसके द्वारा प्रदेश के प्रत्येक जिले में जिला शुल्क नियामक समिति का गठन किया गया, जिसके अध्यक्ष सम्बन्धित जिले के जिला मजिस्ट्रेट हैं तथा सदस्य सचिव सम्बन्धित जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक हैं। जनपद की सीमा के अन्तर्गत संचालित उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा परिषद, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद (सीबीएसई) आईसीएसई, आईबी, आईजीसीएसई या सरकार द्वारा समय-समय पर परिभाषित किसी अन्य परिषदों द्वारा मान्यता/सम्बद्वता प्राप्त ऐसे समस्त स्ववित्त पोषित पूर्व प्राथमिक, प्राथमिक उच्च प्राथमिक, हाई स्कूल और इन्टरमीडिएट कालेजों पर यह अधिनियम लागू है, साथ ही उन विद्यालयों पर लागू है जो किसी छात्र से रू0 20,000 से अधिक शुल्क लेते है। 
         उन्होने बताया कि इस अधिनियम के अन्तर्गत विद्यालयों द्वारा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। उन्होने कहा कि किसी विद्यालय में शुल्क संग्रह की प्रकिया खुली पारदर्शी और उत्तर दायी होगी। प्रत्येक शैक्षिक सत्र प्रारम्भ होने के पूर्व समुचित प्राधिकारी को आगामी शैक्षणिक वर्ष के दौरान ऐसे विद्यालय द्वारा उद्ग्रहीत किये जाने वाले शुल्क का पूर्ण विवरण प्रस्तुत करेगा। प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में संस्था द्वारा प्रवेश प्रारम्भ होने के 60 दिन पूर्व अपनी वेबसाइट पर शुल्क का विवरण अपलोड करना अनिवार्य है एवं सूचना पट्ट पर प्रकाशित भी करना है। कोई भी विद्यालय वार्षिक आधार पर शुल्क न लेकर मासिक या अर्धवार्षिक किस्तों में शुल्क लिया जायेगा। कोई विद्यालय संचित प्राधिकारी की पूर्ण स्वीकृति के सिवाय शैक्षणिक सत्र के दौरान उपधारा (4) के अधीन समुचित प्राधिकारी के लिये संसूचित शुल्क से अधिक कोई शुल्क प्रभारित नहीं करेगा। प्रत्येक मान्यता प्राप्त विद्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि कोई कैपिटेशन शुल्क प्रभारित न किया जाये। छात्र से उदग्रहीत प्रत्येक शुल्क या प्रभार के लिये रसीद जारी की जायेगी। किसी छात्र को पुस्तकें, जूते-मोजे व यूनिफार्म आदि किसी विशिष्ट दुकान से क्रय करने के लिये बाध्य नहीं किया जायेगा। विद्यालयों द्वारा पांच निरन्तर शैक्षणिक वर्षों के भीतर विद्यालय पोशाक में परिवर्तन नही किया जायेगा। 
                 उक्त अधिनियम के अनुपालन में संचालित उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद, उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा परिषद, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अध्ययनरत समस्त छात्र-छात्राओं/संरक्षक एवं अभिभावकगण को सूचित किया जाता है कि नियत शुल्क से अधिक शुल्क वसूलने तथा किसी विशिष्ट दुकान से पुस्तके, जूते, मोजे आदि क्रय करने के लिये मजबूर किये जाने के सम्बन्ध में उनके द्वारा विद्यालय प्रधानाचार्य/प्रबन्धक के समक्ष शिकायत दर्ज कराया जायेगा तथा यदि शिकायत दर्ज कराने के 15 दिन के अन्दर संस्था प्रधान द्वारा समस्या का समाधान न कर अनसुना किया जाता है तो ऐसी दशा में छात्र-छात्राओं, संरक्षक एवं अभिभावक द्वारा जिला शुल्क नियामक समिति (जिलाधिकारी एवं जिला विद्यालय निरीक्षक) के समक्ष अपनी शिकायत/कथन प्रस्तुत करेगा, तदोपरान्त जिला शुल्क नियामक समिति जांचोपरान्त जब इस बात से सुनिश्चित हो जाये कि अधिनियम के प्राविधानों का उल्लघंन किया गया है तो प्रथम बार उल्लघंन करने की स्थिति में अधिक उदग्रहीत शुल्क वापस कराने के साथ-साथ 1,00,000 रू0 तक का अर्थ दण्ड अधिरोपित कर सकती है। अधिनियम के उपबन्धों का दूसरी बार उल्लघंन किये जाने पर उदग्रहीत शुल्क वापसी के साथ पांच लाख रूपये का अर्थ दण्ड अधिरोपित कर सकती है। अधिनियम के उपबन्धों का तीसरी बार उल्लघंन किये जाने पर सम्बन्धित परिषद की मान्यता/सम्बद्वता वापस लिये जाने हेतु संस्तुति कर सकती है। 

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