निर्मला भारती ने नेहरू जी की पुण्यतिथि पर प्रदेश अध्यक्ष को रिहा करने कि की मांग

        आजमगढ़। महिला कांग्रेस की अध्यक्षा निर्मला भारती ने पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि सादगीपूर्ण तरीके से मनाई तथा  नेहरू जी को याद कर उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। श्रीमती निर्मला भारती ने विगत दिनों मजदूरों की मदद करने गए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की गिरफ्तारी की निंदा की और जेल से रिहा करने की मांग भी उठाई।
श्रीमती निर्मला भारती के आवास पर उनकी अध्यक्षता में सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुये एक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ जिसमेें प्रदेश अध्यक्ष की जेल से रिहाई को लेकर 1 दिन का उपवास रखा गया। 
इस अवसर पर श्रीमती निर्मला भारतीय ने कहा कि इतिहास एक दिन में नहीं बनता, लेकिन किसी एक दिन की बड़ी घटना इतिहास में एक बड़ा मोड़ ले आती है. आज 27 मई का यह दिन कहने को तो साल के बाकी दिनों की तरह एक साधारण सा 24 घंटे का दिन ही है, लेकिन इस दिन के नाम पंडित जवाहर लाल के नाम पर दर्ज है। श्रीमती भारती ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आज 56 वीं पुण्यतिथि है। 27 मई 1964 को जवाहर लाल नेहरू का निधन हो गया था। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था।  1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और संसदीय सरकार की स्थापना और विदेशी मामलों पर गुटनिरपेक्ष नीतियों की शुरुआत जवाहरलाल नेहरू की ओर से ही हुई थी। 
उन्होंने बताया कि पंडित नेहरू शुरू से ही गांधीजी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी। 1935 में अलमोड़ा जेल में ‘आत्मकथा’ लिखी। उन्होंने कुल 9 बार जेल यात्राएं कीं। उन्होंने विश्वभ्रमण किया और वे अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए। उन्होंने 6 बार कांग्रेस अध्यक्ष के पद (लाहौर 1929, लखनऊ 1936, फैजपुर 1937, दिल्ली 1951, हैदराबाद 1953 और कल्याणी 1954) को सुशोभित किया। 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में नेहरूजी 9 अगस्त 1942 को बंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे, जहां से 15 जून 1945 को रिहा किए गए।
नेहरू जी ने ‘पंचशील’ का सिद्धांत प्रतिपादित किया और 1954 में:भारतरत्न’ से अलंकृत हुए नेहरूजी ने तटस्थ राष्ट्रों को संगठित किया और उनका नेतृत्व किया। सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत मिले थे, किंतु महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया।
श्रीमती भारती ने कहा कि नेहरू जी के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारु करना उनके मुख्य उद्देश्य रहा। 

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