महात्माबुद्ध ने सबसे पहले अनुरक्त को त्यागा-जिलाधिकारी
उन्होेने बताया कि पहले कर्म के आधार पर वर्ण व्यवस्था किया गया, मनुष्य में वर्चस्व की भावना व्याप्त हो गया आज जातिय विभिषिका के रूप में पर्णित हो गया। सामाजिक कार्य मनुष्य के योग्यता के आधार पर नही बल्कि जन्म के आधार पर वर्गीकृत हो गया।
उन्होने कहा कि सामाजिक परिवर्तन की बयार महात्माबुद्ध ने किया। महात्माबुद्ध ने सबसे पहले अनुरक्त को त्यागा। उन्होने बताया कि महात्माबुद्ध ने कहा कि स्वंय दीपक बनों अपने अन्दर की ऊर्जा को जागृत करों। आज हमलोगों को महात्माबुद्ध के उपदेश को अपनाने की जरूरत है। उन्होने कहा कि महात्मा बुद्ध का अहिंसा, करूणा और मैत्री का संदेश सम्पूर्ण मानवता के लिए अमूल्य निधि है। उन्होने चित्त की शांति तथा हृदय में करूण की शिक्षा दी।
इस अवसर पर पूर्व सपा जिला अध्यक्ष हवलदार यादव, पूर्व सांसद बलीहारी बाबू, सांसद संगीता आजाद द्वारा माहत्माबुद्ध के जीवन पर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये।
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