सनातन वैदिक परंपरा को जीवंत कर कोरोना जैसी महामारी को भगाया जा सकता है-बृजेश दूबे
आजमगढ़। भगवान परशुराम की जयंती मनाई गई। इस दौरान लाक डाउन के नियमों का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंगट का भी पूरा ध्यान रखा गया। यह आयोजन अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के तत्वाधान में प्रदेश अध्यक्ष बृजेश कुमार दुबे के आवास पर भगवान परशुराम को याद कर अपने परिवार के साथ उनकी जयंती मनाई।
भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष बृजेश दूबे ने कहा भगवान परशुराम शिव के अनन्य भक्त थे। और उन्हें शिव जी से एक फरसा (कुल्हाड़ी रुपी हथियार) वरदान के रूप में प्राप्त था, जिससे कारण उनका नाम परशुराम पड़ा, भगवान परशुराम (चिरंजीव) को विष्णु जी का छठा अवतार माना जाता हैे, परशुराम का सम्बन्ध त्रेता युग से है। जब परशुराम जी को भगवान शिव से परशु प्राप्त होने के बाद पृथ्वीलोक पर किसी भी व्यक्ति को उन्हें हराना असंभव हो गया था।
उन्होंनें कहा कि भगवान परशुराम ने सहस्रबाहु जैसे ताकतवर शत्रु को आसानी से पराजित कर दिया था। उन्होंने कई बार धरती को क्षत्रिय विहीन भी किया था। राम सीता के विवाह स्वयंवर में शिवजी का धनुष टूटने पर भगवान परशुराम में काफी आक्रोश जाहिर किया है। बाद में उनका लक्ष्मण से काफी संवाद हुआ और इसके बाद वह महेंद्र पर्वत चले गए। पुराणों में इसके बाद भगवान परशुराम का कोई उल्लेख नहीं है।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि भगवान परशुराम के आदर्शों पर चलकर हम कोरोना वायरस जैसी महामारी से निजात पा सकते हैं। जिस प्रकार ब्राह्मण अपने त्याग और तप से बड़ी शक्तियों की आवश्यकता है। यदि पूर्व रूप में आ जाएं तो महामारी को भगाया जा सकता है। श्री दूबे ने कहा कि इस समय वैश्विक महामारी कोविड 19 की वजह से पूरा विश्व भयाक्रान्त हो गया है। कोरोना को भारत से वैदिक परंपरा के अनुकरण व खान पान तथा स्वच्छता पूर्ण नियमित धार्मिक सांस्कृतिक जीवन शैली के अनुरूप पवित्रता, शुद्धता ,पूजन, आराधन, योग, ध्यान, प्राणायाम, आसन, व्रत तथा यज्ञ आदि ब्रह्मकर्म से भगाया जा सकता है। भगवान परशुराम जी के जयंती के इस अवसर पर मुख्य रूप से बंशीधर पाठक, सतीश चंद्र मिश्रा, माता प्रसाद दूबे, सुनीता दूबे, ज्योति दूबे, चंद्रमा दूबे, बरखा दूबे, रागिनी दूबे, संगनी दूबे, मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
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