माननीय सर्वोच्च न्यायालय में प्रचलित प्रक्रिया का सम्मान करें-जिलाधिकारी
आजमगढ़ । जिलाधिकारी नागेन्द्र प्रसाद सिंह ने समस्त जनपदवासियों से अपील किया है कि सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019) के विरोध एवं पक्ष में जनताद्वारा अपनी-अपनी बाते अनेकों बार सार्वजनिक मंचों पर रखी जा चुकी है। अनेक संगठनों द्वारा अपने विचारों एवं तर्कों के साथ ज्ञापन भी दिये गये हैं। सभी संगठनों एवं व्यक्तियों के द्वारा प्रस्तुत व्यक्तिगत विचारों एवं भावनाओं को मेरे द्वारा शासन स्तर पर प्रेषित कर दिये गये हैं।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है। समस्त गतिविधियां संविधान के अनुरूप संचालित होती हैं। लोकतांत्रिक संस्थाओं के माध्यम से देश की गतिविधियां नियमित एवं निगमित होती हैं। यदि कोई कानून देश की माननीय संस्था संसद द्वारा पारित किया गया है और अधिनियमित किया गया है तो असहमति रखने वाले पक्ष के पास मा0 सर्वोच्च न्यायालय में उस अधिनियम के विषय में अपना पक्ष रखने का पूर्ण अधिकार है। तमाम पक्षों द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाएं भी दायर की गई हैं, जिसमें मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई भी प्रारम्भ की जा चुकी है, जैसा कि सार्वजनिक तौर पर समाचार पत्र, पत्रिकाओं एवं समाचार चैनलों के माध्यम से भी सभी लोग अवगत हैं। ऐसी स्थिति में उचित होगा कि हम सभी लोग मा0 सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करते हुए और भारतीय संविधान के प्रति विश्वास एवं निष्ठा रखते हुए न्यायालय की प्रक्रिया पर विश्वास रखें।
दिन-प्रतिदिन कई स्थलों पर एवं कई महाविद्यालयों/विद्यालयों पर ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के समर्थन एवं विरोध में छात्रों एवं महिलाओं को लामबन्द किया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों के पठन-पाठन पर विपरीत प्रभाव पड़ने की पूरी सम्भावना बनी रहती है। दैनिक दिनचर्या तथा आर्थिक गतिविधियों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और कभी कभी अनावश्यक वाद-विवाद तथा टकराव की स्थिति से लोक परिशान्ति भी भंग होने की सम्भावना उत्पन्न हो जाती है।
प्रशासन द्वारा समर्थन एवं विरोध दोनों पक्षों को सार्वजनिक मंचों पर अपनी बातें रखने के लिए अनुमति भी दी जा चुकी है एवं उनके द्वारा अपनी-अपनी बातें रखी भी जा चुकी हैं। ऐसी स्थिति में जनपदवासियों से मेरी अपील है कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय में प्रचलित प्रक्रिया का सम्मान करें एवं अपनी दैनिन्दिनीय गतिविधियों को शान्तिपूर्ण वातावरण में जारी रखें। वर्तमान में छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं सन्निकट होने के कारण अध्ययन सत्र अन्तिम दौर में हैं, ऐसी दशा में सभी छात्र-छात्राओं से मेरा एक अभिभावक के नाते अनुरोध है कि इस समय अपने पठन-पाठन में ध्यान केन्द्रित करें और उनके मन में जो अंदेशा अथवा आशंका है उसे भी भारतीय संविधान के तहत अधिकार प्रदत्त मा0 सर्वोच्च न्यायालय में यकीन करते हुए उसकी प्रक्रिया के अधीन छोड़ दें।
जनपद आजमगढ़ में सामाजिक, शैक्षिक, संस्कृति की एक लम्बी विरासत रही है। यहां से शान्ति एवं सौहार्द्र का पैगाम सदियों से लोगों को मिल रहा है। सभी जनपदवासियों ने विषम दौर में भी बहुत ही धैर्य, साहस एवं परस्पर मोहब्बत का परिचय दिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि सभी जनपदवासी विशेषतः युवा साथी मेरी इस भावना का सम्मान करेंगे और कोई भी ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होनें देंगे, जिससे लोक परिशान्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े और प्रशासन के समक्ष किसी के विरूद्ध प्रतिकूल कार्यवाही करने की बाध्यता की स्थिति उत्पन्न होने पाये।
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