पुलिस मुठभेड़ में आंतक के पर्याय लालू उर्फ विनोद का अंत
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में पुलिस ने मुठभेड़ के बाद आंतक के पर्याय बने लालू उर्फ विनोद यादव को मार गिराया। सुबह करीब 4 बजे यह मुठभेड़ सरायलखंसी थाना क्षेत्र के भैरोपुर मोड़ के पास हुई। बताते चले कि गैगस्टर लालू यादव पर लगभग 82 संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज थे। 18 साल की उम्र से ही लालू उर्फ विनोद यादव ने जरायम की दुनिया में प्रवेश किया। 2003 में उसके खिलाफ कोपागंज थाना क्षेत्र में पहला मुकदमा दर्ज हुआ. उसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कक्षा आठ पास लालू उर्फ विनोद यादव किराए पर ऑटो लेकर चलाता था। लेकिन 2003 के बाद स्थानीय गैंगस्टर रमेश सिंह काका गैंग से जुड़ गया। जिसके बाद जौनपुर में सोना व्यापारी की दुकान से दो करोड़ की डकैती, भदोही में 25 लाख कैश बैंक की लूट, मिर्जापुर व वाराणसी में स्वर्ण व्यवसाई से लूट, जनपद में आरटीआई कार्यकर्ता बाल गोविंद सिंह को दिनदहाड़े हत्या जैसे संगीन अपराध में वह मुख्य आरोपी था। यही नहीं अपराध और भय के बल पर उसने 2015 के पंचायत चुनाव में अपनी पत्नी रीमा यादव को ग्राम प्रधान बनवाया। 29 अप्रैल 2021 को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में रीमा यदव को ब्लाक प्रमुख पद के लिए 64 नंबर वार्ड से निर्विरोध बीडीसी सदस्य बनवा दिया. निर्वाचन के बाद उसका लक्ष्य ब्लाक प्रमुख पद को हथियाना था। जानकारी के अनुसार अति महत्वाकांक्षी रखने वाला लालू कम उम्र से ही किसी पर विश्वास नहीं करता था। वह प्रदेश की सक्रिय राजनीति में शामिल होना चाहता था. लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद उसे जिला छोड़कर फरार होना पड़ा था।
पुलिस अधीक्षक सुशील घुले ने बताया कि पंचायत चुनाव के कारण ही गुपचुप तरीके से गांव में उसका आवागमन था, जिसकी सूचना हमारी टीम को मिली. जिसके फलस्वरूप मंगलवार की रात्रि में 3ः30 बजे के आसपास उसे घेर लिया. जवाबी फायर में मौके पर ही गंभीर रूप से घायल हो गया. अस्पताल जाते वक्त रास्ते में मौत हो गई. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि वह अपनी पत्नी को निर्विरोध क्षेत्र पंचायत का चुनाव जिता दिया था और गणित में लगा था अपने पत्नी को ब्लाक प्रमुख बनाने के लिए। उस दशा में उसके पत्नी के विरोध में कोई भी उम्मीदवार विरोध करता तो रास्ता साफ करने के लिए उसकी हत्या भी कर सकता था।
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