पकड़ें गये कोख के सौदागर, सामने आया शर्मनाक सच
आजमगढ़। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से पकड़ी गईं दो महिलाओं सहित कोख के पांच सौदागरों के पीछे अंतरराष्ट्रीय गैंग है। इसकी सरगना नेपाल की एक अस्पताल संचालिका है। गैंग में करीब 25 सदस्य हैं, इनका हरियाणा तक फैला हुआ है। यह गैंग जन्म से पहले बच्चों का सौदा करता है। इनमें बच्चियों की अधिक मांग है। इसके पीछे का काला सच इंसानियत को शर्मसार करने वाला है।
19 जून को मिली एक सूचना के आधार पर आगरा पुलिस ने लखनऊ एक्सप्रेसवे पर चेकिंग के दौरान दो कार में दो महिलाओं सहित पांच गिरफ्तार किया था। एक कार दो युवक और एक महिला मिले। इनमें चालक नई दिल्ली के बदरपुर निवासी अमित, नई दिल्ली के हर्ष विहार निवासी राहुल और फरीदाबाद के धीरज नगर निवासी रूबी थी।
रूबी के पास एक नवजात बच्ची भी थी। उनके पास से गेटवेल मेडिसेंटर की मेडिकल रिपोर्ट मिलीं। दूसरी कार में चालक प्रदीप कुमार निवासी धीरज नगर, फरीदाबाद और गिरधावर एन्क्लेव निवासी नीलम थे। महिला के पास से दो नवजात बच्ची मिलीं। इनके पास धरम देवी हॉस्पिटल की रिपोर्ट मिलीं। यह दस्तावेज बच्चा पैदा होने से संबंधित थे।
कोख के सौदागर गैंग की सिलीगुड़ी से पकड़ी गई एजेंट नर्स कल्पना ने एक साल में छह बच्चों को अस्मिता को सौंपने की बात पुलिस की पूछताछ में कबूल की है। इनमें चार बच्चे दो महिलाओं का प्रसव कराने पर पैदा हुए थे, दो बच्चों को एजेंट राहुल लेकर गया था। कल्पना को दस से 20 हजार रुपये कमीशन मिलता था। अस्मिता ही इन बच्चों को अपने एजेंट के साथ आकर ले गई थी। आगरा लाने के बाद पुलिस ने सोमवार को आरोपी कल्पना, उसके पति सूरज और राहुल को कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया।
बताते चले कि कि विगत 19 जून 2020 को फतेहाबाद में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर पुलिस ने फरीदाबाद की नीलम सहित पांच लोगों को पकड़ा था। उनके पास से तीन बच्चियां मिली थीं, जिन्हें नेपाल बेचने के लिए ले जाया जा रहा था। नीलम से पूछताछ में खुलासा हुआ था कि नेपाल की अस्मिता सेरोगेसी कराती है। बच्चों और महिलाओं को नीलम के एजेंट लेकर नेपाल बार्डर तक जाते हैं।
बच्चों को अस्मिता और उसके एजेंट लेकर चले जाते हैं। पुलिस ने पिछले दिनों एक अन्य एजेंट आनंद राहुल सारस्वत को भी गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ में गैंग के मास्टरमाइंड डा. विष्णुकांत का नाम सामने आया था। राहुल को रिमांड पर लेकर सिलीगड़ी से नर्स कल्पना और उसके पति सूरज को गिरफ्तार किया गया। दोनों को आगरा लेकर आया गया।
इन बच्चों को लेने के लिए अस्मिता अपने एजेंट के साथ आई थी। वह बच्चों को लेकर चली गई। उन्हें कितना कमीशन दिया? इसकी जानकारी नहीं दी है। नर्स होने की वजह से अस्पताल में कल्पना की ओर से लाई गईं महिलाओं को भर्ती कर लिया गया। इसी तरह जून में नीलम और अस्मिता का फोन आने पर राहुल के माध्यम से दो बच्चों को अस्मिता के एजेंट के हवाले किया था। इसके लिए 1.10 लाख रुपये मिले थे। इनमें से कल्पना ने 20 हजार रुपये ही लिए थे। बाकी रकम राहुल के साथ आईं रूबी, मीना और चालक को दे दिए थे। उन्होंने अपनी रकम आपस में बांट ली थी।
नर्स कल्पना ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि वह कभी नेपाल की अस्मिता से नहीं मिली है। अस्मिता से संपर्क फोन पर एक एजेंट के माध्यम से हुआ था। इसके बाद नीलम से बात होने लगी। दोनों ने एक साल पहले दो महिलाओं को भेजने के लिए कॉल किया था। तब उन्होंने तैयारी की थी। इसी तरह एक महीने पहले दो बच्चों को भेजा, तब नीलम ने कॉल किया था।
बच्चों को लेने के लिए अस्मिता खुल नेपाल से आती थी। कल्पना ने पुलिस को बताया कि पिछले माह वह बच्चे देने बॉर्डर पर गई थी। अस्मिता के एजेंट कार से बाहर आए थे, लेकिन अस्मिता ने बाहर आकर बात नहीं की। वह अंदर ही बैठी रही। बच्चों को लेने के बाद एजेंट ने कल्पना को रकम पकड़ा दी थी। इस कारण कल्पना अस्मिता का चेहरा भी नहीं देख सकी। वह कहां की रहने वाली है? इसकी भी जानकारी नहीं है। अब पुलिस कल्पना के मोबाइल की कॉल डिटेल भी निकलवाएगी।
सूचनाएं बताती है कि एक तो महज एक बानगी भर पुलिस कोख के सौदागरों की पर जाॅच कार्यवाही करें तो प्रदेश में सैकड़ों ऐसे गैंग पकड़ में आ सकते है। नागरिकों ने उत्तर प्रदेश कर्तव्यनिष्ठ मुख्यंत्री योगी से मांग की है कि माफियाओं के साथ कोख के सौदागरों पर भी पुलिस शिकंजा कसे तो कई गैंग और उसके साथी पुलिस की गिरफ्त में आ सकते हैं।
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