अहमदाबाद में मूलभूत नियंत्रण नीतियां लागू करने में प्रशासन नाकाम

         अहमदाबाद। कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में जिले में तेजी से बढ़ी मृत्यु दर ने नागरिक प्रशासन, स्वास्थ्य सेक्टर आदि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ, प्रशासन का मानना है कि इसका कारण मरीजों का देर से अस्पताल में दाखिल होना और मरीजों का अन्य बीमारियों से ग्रस्त होना रहा है, तो दूसरी तरफ, भारत में कोविड 19 की राष्ट्रीय मृत्यु दर से बहुत ज्यादा और मुंबई से दोगुनी मृत्यु दर होने पर अहमदाबाद पर अब समूचे भारत सबकी नजरें हैं। 
देश में कोविड 19 से जुड़ी मृत्यु दर अब तक 2.98 रही है, जबकि मुंबई में 3.34 और नई दिल्ली में 1.68 लेकिन अहमदाबाद में मृत्यु दर 6.63 दर्ज की जा रही है। अहमदाबाद के नागरिक अस्पताल के 1200 बिस्तरों को कोविड अस्पताल में तब्दील किया गया लेकिन 25 मार्च से 18 मई तक के आंकड़ों के आधार पर ओआरएफ की रिपोर्ट में लिखा गया है कि अस्पताल में 343 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 338 मरीज डिस्चार्ज किए गए।  इन आंकड़ों के चलते, इस अस्पताल के इंतजामों पर सवालिया निशान लग गये हैं। 
जरूरी सेवाओं में लगे कार्यकर्ताओं से बात के हवाले से ओआरएफ की रिपोर्ट कहती है कि अहमदाबाद में मूलभूत नियंत्रण नीतियां लागू करने में प्रशासन नाकाम रहा। इसके अलावा, समय से कदम न उठाने के कारण प्रशासन के रवैये ने और मुश्किलें खड़ी कीं। 
इन तमाम अव्यवस्थाओं के चलते नागरिक अस्पताल पर अचानक बोझ बढ़ गया था. इस स्थिति से निपटने के लिए अहमदाबाद नगर पालिका ने कोविड 19 अस्पतालों की संख्या बढ़ाई, जो अब 42 हो गई है लेकिन यह कदम पिछले हफ्ते यानी 16 मई को उठाए गये।  यही व्यवस्थाएं समय रहते की गई होतीं तो हालात बेहतर हो सकते थे। नागरिक अस्पताल में 25 मरीजों को इलाज से इनकार कर मरीजों को इंतजार करवाए जाने की बात रिपोर्ट कहती है।  सिविल अस्पताल के साथ ही एसवीपी में एक हेड कॉंस्टेबल को भी बिस्तर न होने और दाखिल किए जाने की तैयारी न होने जैसे कारणों से अस्पताल में दाखिल नहीं किया गया. दूसरी तरफ 900 वेंटिलेटरों की खरीदी भी सवालों के घेरे में आ गयी है। 

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