‘जिलाधिकारी चिपको आंदोलन’ का नया सीजन (साभार बृजेश सिंह के फेसबुक वाल से)

          आजमगढ़। हमारे जिले में पिछले दिनों ‘जिलाधिकारी चिपको आंदोलन’ चला , जिसमें एक से बढ़कर एक धुरंधरों ने प्रतिभाग किया और अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया । एक दूसरे को पछाड़ते हुए प्रथम , द्वितीय व तृतीय स्थान के लिए उनमें बहुत ही रोचक संघर्ष हुआ । इन स्थानों को जब प्रतिभागी कब्जा कर चुके तो बाद में जनता जनार्दन को भी पता चला कि ऐसी कोई प्रतियोगिता जिले में संम्पन्न हुई है । कहा गया है न -‘ये पब्लिक है, सब जानती है।’ 
अब नए जिलाधिकारी के आगमन की सूचना मात्र से ही उन प्रतिभागियों में अफरा- तफरी का माहौल बन गया है । जानकारी मिलते ही सबने अपना-अपना वार्मअप भी शुरू कर दिया है । इस सीजन की प्रतियोगिता के और भी रोचक होने की उम्मीद की जा सकती है क्योंकि ये साहब अभी बहुत वर्षों तक कृपाचार्य बने रहेंगे । यानी कि रिटायरमेंट बहुत दिन बाद है साहब का ।साहब से लम्बा रिश्ता बनाना और उसे बनाये रखना इस सीजन की सबसे बड़ी चुनौती होगी प्रतिभागियों के लिए ।
देखना है इस बार की प्रतियोगिता में वे किस हुनर से इंट्री कार्ड प्राप्त करते हैं । कुछ जो अपने खेल में माहिर हैं उन्हें डायरेक्ट इंट्री तो मिलनी ही चाहिए । कुछ को एक बार फिर साबित करना होगा कि वे भी इस सीजन में शामिल होने योग्य हैं । जिनको इंट्री मिल गई वे अपने कौशल से साहब से कुछ न कुछ तो निकाल ही लेंगे । मतलब ये की जिलाधिकारी माईबाप उनके सांचे में थोड़ा सा भी उतर पाए तो वे कला , साहित्य , समाज , पत्रकारिता , समाजसेवा , ज्वलन्त मुद्दों और जनपद वासियों की भलाई के लिए कोई नया विचार निकाल पाएंगे । इस विचार के मंथन से ही वे स्वस्थ रहते हैं । मंथन के लिए एक जिलाधिकारी की आवश्यकता होती ही है । है कि नहीं ....
नए साहेब आने वाले है , वह भी लॉक डाउन में । प्रतिभागी इतने जागरूक हैं कि उनसे लॉक डाउन के नियमों के पालन की उम्मीद तो की ही जा सकती है । जैसे वे एक साथ न पहुंच जाए दरबार में । इससे सोसल डिस्टेंसिंग का नियम तार - तार हो जाएगा ।
खुले चेहरे के साथ भी नहीं जा सकते इस बार वे । खैर ये तो अच्छा हुआ । कोई नया चेहरा या लबादा ओढ़ने के बजाय मास्क लगाना ज्यादा आसान हो गया इस लॉक डाउन में।
दरबार में प्रवेश करने और निकलने पर पहले भी हाथ धोने का मौका मिलता था सो तो अब भी मिलेगा लेकिन पहले की तरह बहती गंगा में हाथ धोने जैसा शायद न हो । पहले जो सेनेटाइजर मिलता था उससे हाथ धोकर जीवन रफ्तार पकड़ लेता था लेकिन अब जो 70ः अल्कोहल युक्त सेनेटाइजर मिलेगा उससे केवल कोरोना वायरस से ही बचाव होगा । खैर समय यही कहता है कि जान है तो जहान है । इसलिए प्रतिभागियों को इस सीजन में हालात सही होने तक इसी सेनेटाइजर से काम चलाना होगा । आगे की उम्मीद तो बरकार रखना भी बहुत साहस का काम होगा ।
तो आज पहले दिन इतना ही । ‘जिलाधिकारी चिपको आंदोलन’ के इस नए सीजन के आप सभी दर्शकों से अनुरोध -
’प्रतिभागियों के चेहरे को पहचानें, प्रतिभागियों को उसी के अनुरूप सम्मान दें जैसा उनका दरबार में स्थान है ’प्रतियोगिता का खुली आँखों से आनन्द लें ।

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