आपदा की घड़ी में उचित दर विक्रेता की महत्वपूर्ण भूमिका-जिलाधिकारी
आजमगढ़ । जिलाधिकारी नागेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया है कि शासन के निर्देशानुसार कोरोना-19 रोग की रोकथाम के दृष्टिकोण से दिनांक 14 अप्रैल 2020 तक लाकडाउन चल रहा है तथा आर्थिक गतिविधियां लगभग बंद सी हैं। ऐसे में समस्त कार्डधारक अपने जीवन-यापन के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली से प्राप्त होने वाले खाद्यान्न पर निर्भर करते हैं। इस आपदा की घड़ी में उचित दर विक्रेता की महत्वपूर्ण भूमिका है।
जिलाधिकारी ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार अनेक श्रमिकों को निःशुल्क खाद्यान्न प्राप्त होना है, उनकी सूची उचित दर विक्रेताओं को ग्राम पंचायत अधिकारी के माध्यम से उपलब्ध हो गयी होगी। साथ ही जिनको सशुल्क खाद्यान्न मिलना है, उनको जितनी मात्रा में मिलना है तथा जो निर्धारित मूल्य लेना है, उसी मात्रा एवं मूल्य पर खाद्यान्न तत्काल उपलब्ध हो जाय, यह आपका सबसे बड़ा दायित्व है। ग्रामवार खाद्यान्न वितरण के लिए रोस्टर निर्धारित है और किसी न किसी अधिकारीध्कर्मचारी की उपस्थिति में वितरण होना है। ग्राम स्तर पर गठित ग्राम आपदा प्रबंधन समिति गठित है, जिसमें प्रधान, ग्राम पंचायत अधिकारी, लेखपाल एवं अन्य ग्राम स्तरीय कर्मचारियों के अलावा उचित दर विक्रेता भी सम्मानित सदस्य हैं।
उन्होने बताया कि खाद्यान्न वितरण के समय उचित दर विक्रेता द्वारा कई सावधानियाॅ बरतनी चाहिए, जिसमें खाद्यान्न वितरण के समय भीड़ नहीं होनी चाहिए। एक समय में 5 से अधिक लोक एक समय एकत्रित न हो और वितरण के लिए पंक्ति निर्धारित हो तथा लोगों को खड़ा होने के लिए एक-एक मीटर की दूरी पर चूने से गोला बना दिया जाए। खाद्यान्न वितरण स्थल पर हैण्डवास, सेनेटाईजर की व्यवस्था हो, ताकि वितरण के समय ई-पास मशीन को टच करने से पहले अपने हाथ अच्छे से साफ कर लें। जिन परिवार के प्रवासी मजदूर विगत् दिनों में अन्य स्थलों से वापस आये हैं, उन परिवार को होम डिलवरी करायें।
यह सुनिश्चित करें कि कोई भी प्रवासी मजदूर ई-पास मशीन को टच न करें। जो अशक्त, दिव्यांगजन हों, उनके घरों पर खाद्यान्न की डिलवरी करें। आपके दुकान से अगर कोई मजरे सम्बद्ध हैं, तो नोडल अधिकारी के साथ समय व स्थल निर्धारित करके अलग-अलग मजरों में जाकर वितरण कराया जाय, ताकि एक जगह भीड़ न हो। यदि आपके पास कोई अन्य दुकान सम्बद्ध हो तो उस दुकान से सम्बद्ध कार्डधारकों को अपने यहां न बुलाकर उसी गांव या मजरों में सार्वजनिक स्थल पर जाकर खाद्यान्न वितरण कराया जाय।
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