मांगों पर सकारात्मक रुख नहीं अपना रही है सरकार-हरिद्वार

आजमगढ़ । आठ सूत्रीय मांगों के समर्थन में लेखपालों ने रिक्शा स्टैंड पर धरना-प्रदर्शन किया। धरना-प्रदर्शन में जनपद के आठों तहसील के लेखपाल शामिल रहे। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि लेखपाल अपनी जायज मांगों को लेकर काफी दिनों से आंदोलित हैं। इसके पूर्व आंदोलन तहसील मुख्यालयों पर चल रहा था लेकिन सरकार की हठधर्मिता के कारण पूरे प्रदेश के लेखपाल कार्य बहिष्कार करते हुए कलमबंद हड़ताल करने के लिए मजबूर हैं।
जिलाध्यक्ष हरिद्वार सिंह ने कहा कि आज भी लेखपाल को यात्रा भत्ता के नाम पर मात्र तीन रुपये 33 पैसे प्रतिदिन मिल रहा है जबकि लेखपाल पर आज इतना अधिक काम का बोझ है। प्रतिदिन 25 से 30 किमी दौड़कर 16 रुपये, प्रार्थना पत्र, पैमाइश, समस्या निस्तारण आदि में दौड़ना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में लेखपाल कैसे इतने कम यात्रा भत्ता में जनता की समस्याओं का निस्तारण करेगा। शासन द्वारा सरकारी लैपटाप व मोबाइल तो दे दिया गया लेकिन नेटपैक, रिचार्ज की कोई व्यवस्था नहीं की गई। उन्होंने कहा कि शासन स्तर पर पूर्व के वार्ता में मुख्य सचिव व राजस्व परिषद के उच्चाधिकारियों से वार्ता व सहमति के बाद भी आज तक शासनादेश नहीं जारी किया गया। लेखपालों की मांग जैसे पदनाम लेखपाल से राजस्व उपनिरीक्षक करना, शैक्षिक योग्यता स्नातक करना जैसी मांग पर सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं है। फिर भी सरकार इन मांगों पर सकारात्मक रुख नहीं अपना रही है। 27 दिसंबर को सभी लेखपाल लखनऊ जाकर विधानसभा का घेराव करेंगे। धरने में रामानुज श्रीवास्तव, सुनील यादव, अमित पांडेय, रामप्यारे यादव, राजबहादुर यादव, शिवशंकर सिंह, अनिल सिंह, नरेंद्र यादव, दीपक प्रताप सिंह, अंजनि कुमार, सौरभ उपाध्याय, शकील अहमद, रामकृपाल सिंह आदि रहे। अध्यक्षता रामकृष्ण लाल व संचालन जिलामंत्री पंकज अस्थाना ने किया।

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