शांति पूर्वक करें नागरिक संशोधन बिल का विरोध-बृजपाल

                   
आजमगढ़। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर पूरे देश में विरोध जारी है। असंख्य समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल यादव ने कहा कि ’नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) भारत में फासीवादियों की ओर से फैलाए गए बड़े ध्रुवीकरण का हथियार है। इसके खिलाफ सबसे अच्छा बचाव शांतिपूर्ण, अहिंसक सत्याग्रह है। 
बृजपाल यादव ने कहा, असंख्य समाज पार्टी एकजुटता से खड़ी है और सीएबी और एनआरसी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरिके से विरोध कर रही हैं। उन्होनें नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), 2019 के विरोध में हो रही हिंसा पर केंद्र व प्रदेश सरकार से उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने पुलिस व प्रशासन को निष्पक्ष रूप में कार्य करने के की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि “नए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में की गई हिंसा में पहले उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ व फिर जामिया यूनिवर्सिटी में और पूरे जामिया क्षेत्र में भी जो काफी बेकसूर छात्र व आम लोग शिकार हुए हैं, यह अति दुर्भाग्यपूर्ण है और असंख्य समाज पार्टी पीड़ितों के साथ है। नागरिकता संशोधन बिल पर सरकार का अपना तर्क है। नागरिकता संशोधन क़ानून को कोर्ट में चुनौती दी गई है और 22 जनवरी 2020 से सुनवाई शुरू होगी। उन्होंने कहा कि ख़ास तौर पर मुसलमानों को आश्वस्त करने के लिए सरकार ने कुछ ठोस न तो कहा है, न किया है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि जो लोग एनआरसी के तहत अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे उन्हें डिटेंशन सेंटर में जाना होगा। इसके अलावा नोटबंदी के निर्णय से जिस तरह से भारत का नागरिक परेशान हुआ उसी तरह यह आशंका भी विरोध की एक वजह है।  क्योंकि 135 करोड़ लोगों की नागरिकता की जांच करना कोई मामूली काम नहीं होगा। अगर 10 प्रतिशत मामलों में भी गड़बड़ी हुई तो यह कानून 13 करोड़ से ज़्यादा लोगों की ज़िंदगी को मुसीबत में डाल सकता है। 
श्री यादव ने कहा कि सरकार जिस तरह से सार्वजनिक सम्पत्ति के नुकसान के लिये चिन्हित लोगों को नोटिस देकर वसूली का दबाव बना रही है वह गलत है। भीड़ भेड़ की तरह होती है जैसे एक भेड़ जिधर चल देती है उधर का रूख सारी भेड़ें कर लेती हैं। इसलिये सरकार को हिंसाग्र्रस्त क्षेत्रों में सार्वजनिक नुकसान की भरपाई के लिये वहां के स्थानीय विधायक, सांसदों से करना चाहिए ताकी वह भविष्य में अपने-अपने क्षेत्रों को हिंसा व सार्वजनिक क्षेत्र में नुकसान के लिये जनता को शान्तिपूर्ण आन्दोलन के लिये समझा सकें। 

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